बलात्कार के मामले में पीड़िता ने कहा उसने दबाव में आरोपी के खिलाफ शिकायत की, सुप्रीम कोर्ट ने हफलनामा खारिज करते हुए सज़ा की पुष्टि की

Update: 2020-02-23 15:32 GMT

बलात्कार के एक मामले में दोषी की सज़ा पुष्टि करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित महिला द्वारा दायर हलफनामे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि उसने आरोपी के खिलाफ दबाव में आकर मामला दर्ज किया था।

राकेश कुमार यादव ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपील दायर करके बलात्कार के एक मामले में उसे मिली सजा को चुनौती दी थी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अभियुक्त के दोष और सजा की पुष्टि की थी।

शीर्ष अदालत के समक्ष इस अपील के लंबित होने के दौरान पीड़ित पक्ष ने एक हलफनामा दायर करते हुए कहा कि पीड़िता ने दबाव में आकर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था।

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने आरोपी के दोष और सजा की पुष्टि करते हुए कहा,

"पीड़ित पक्ष की ओर से पीड़िता, उसके पति और पीड़िता की बेटी के बयानों के मद्देनजर, पीड़िता ने इस अदालत में यह कहते हुए हलफनामा दायर किया कि उसने ने अपीलकर्ता के खिलाफ दबाव में आकर मामला दर्ज करवाया था, उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता।"

दिसंबर 2019 में, शीर्ष अदालत ने दोहराया था कि बलात्कार के आरोपियों और पीड़ित के बीच समझौता आपराधिक मामलों को तय करने में कोई प्रासंगिकता नहीं रखता है।

हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने पाया था कि अभियोजन पक्ष का कथन काफी स्वाभाविक है, आत्मविश्वास को प्रेरित करता है और स्वीकृति को गुण प्रदान करता है। इस संबंध में हाईकोर्ट ने निम्नलिखित अवलोकन किए थे।

भारत के समाज के पारंपरिक गैर-अनुमेय सीमा में कोई भी लड़की या महिला स्वाभिमान और गरिमा को नहीं छोड़ेगी और अपने भविष्य को खतरे में डालते हुए अपनी पवित्रता दांव पर नहीं लगाएगी। पीड़ित पक्ष के साक्ष्य को गवाह से जोड़ा जाना चाहिए और जब उसके साक्ष्य से प्रेरणा मिलती है तो कोई पुष्टि आवश्यक नहीं है, लेकिन वर्तमान मामले में पर्याप्त सबूत हैं कि पीड़िता की बेटी प्रक्रिया के दौरान मौके पर पहुंच गई थी और फिर पीड़िता के पति भी मौके पर पहुंचे और पीड़िता के साथ अपीलकर्ता को पाया।

एफआईआर दर्ज करने में देरी के आधार पर बचाव को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि भारत में परंपरा में बंधे समाज में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अभियोजन मामले को केवल इस आधार पर खारिज करना असुरक्षित होगा कि एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई।

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