सबरीमला मंदिर : सुप्रीम कोर्ट अयप्पा मंदिर के प्रबंधन और रखरखाव के लिए विशिष्ट कानून बनाने के निर्देश दिए

Update: 2019-11-20 12:12 GMT

केरल के सबरीमला अय्यपप्पा मंदिर में बेहतर प्रबंधन और रखरखाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को निर्देश दिया है कि वो गुरुवायुर जैसे कुछ अन्य मन्दिरों की तर्ज पर एक नया कानून बनाए।

जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य सरकार जनवरी के तीसरे सप्ताह तक इस कानून को तैयार करे।

पीठ ने कहा कि कोर्ट ने पहले के फैसले में 27 अगस्त तक ये कानून बनाने के लिए निर्देश दिया था लेकिन केरल सरकार ने त्रावणकोर कोचीन हिन्दू धार्मिक संस्थान कानून में संशोधन का ड्राफ्ट तैयार कर दिया। पीठ ने कहा कि सबरीमला के अयप्पा मन्दिर के लिए अलग से विशिष्ट तौर पर कानून बनाए जाने की जरूरत है।

दरअसल त्रावणकोर-कोचीन धार्मिक संस्थान अधिनियम में राज्य द्वारा किया गया संशोधन मंदिर सलाहकार समितियों में महिलाओं के लिए एक तिहाई कोटा प्रदान करता है।

पीठ ने पूछा कि पैनल में महिलाएं कैसे हो सकती हैं जबकि 7 जजों की संविधान पीठ को आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के सवाल की जांच करना बाकी है।

सुनवाई के दौरान केरल सरकार की ओर से कहा गया कि कि अगर 7 जजों की बेंच के फैसले से सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध वापस आ जाता है तो 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को केवल मंदिर सलाहकार समिति में ही शामिल किया जाएगा। राज्य ने कहा कि मंदिरों के प्रशासन में महिलाओं को शामिल करना उसके उदारवादी रवैए का हिस्सा है।

इस पर पीठ में शामिल जस्टिस बीआर गवई ने टिप्पणी की कि 10 से 50 वर्ष के बीच महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को रद्द करने का सितंबर 2018 का फैसला बरकरार है।

हालांकि इस आदेश का सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के प्रवेश के बारे में दिए गए संविधान पीठ के फैसले से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि ये मामला मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन से जुड़ा है। 

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