प्रख्यात संवैधानिक विद्वान और कानूनी टिप्पणीकार अब्दुल गफूर मजीद नूरानी का गुरुवार को मुंबई में निधन हो गया। वे 94 वर्ष के थे।
अब्दुल गफूर मजीद नूरानी को ए.जी. नूरानी के नाम से जाना जाता है।
1930 में मुंबई में जन्मे नूरानी ने मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट में वकालत की।
वह विभिन्न मुख्यधारा के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित कानूनी और राजनीतिक घटनाक्रमों पर अपने स्तंभों के लिए जाने जाते हैं।
वह कई पुस्तकों के लेखक है। इन पुस्तकों में शामिल हैं- 'कश्मीर प्रश्न', 'बदरुद्दीन तैयबजी', 'मंत्रियों का दुर्व्यवहार', 'ब्रेझनेव की एशियाई सुरक्षा योजना', 'राष्ट्रपति प्रणाली', 'भगत सिंह का मुकदमा', 'भारत में संवैधानिक प्रश्न', 'आरएसएस और भाजपा: श्रम का विभाजन,' और 'आरएसएस: भारत के लिए खतरा' शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखकर शोक व्यक्त किया:
"आज सुबह ए जी नूरानी साहब के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। नूरानी साहब विद्वान, कुशल वकील और राजनीतिक टिप्पणीकार थे। उन्होंने कानून के मामलों और कश्मीर, आरएसएस और संविधान जैसे विषयों पर विस्तार से लिखा।"
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने X पर लिखा:
"विद्वानों के बीच दिग्गज ए जी नूरानी का निधन हो गया। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा, संविधान से लेकर कश्मीर, चीन और यहां तक कि अच्छे खाने की सराहना करने की कला भी। अल्लाह उन्हें मगफिरत अता करे।"
इनके अलावा, संजय हेगडे, द वायर के संपादक सिद्धार्थ वर्द्धराजन ने भी एजी नूरानी की मौत पर शौक व्यक्त किया।
One of the legends of written law in India #AGNoorani passed away today at 3:20pm at his residence in Mumbai.He was 94
— SANJAY HEGDE (@sanjayuvacha) August 29, 2024
Rest in power Noorani sahab. Your magisterial writings will be the abstracts and chronicles of our times. pic.twitter.com/FZtvirm4h3
The great A.G. Noorani is no more. His caregiver says he died this afternoon in Bombay. Ghafoor, as his friends called him—and I am proud to have been among their ranks—had been ailing for some time but was still working furiously on a book he had hoped to complete, on the…
— Siddharth (@svaradarajan) August 29, 2024