रविदास मंदिर : दक्षिण दिल्ली में हिंसा फैलाने वाले 96 लोगों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया

Update: 2019-08-22 15:20 GMT

दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास मंदिर को ढहाए जाने के मामले में बुधवार रात हुई हिंसा में भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद समेत 96 कार्यकर्ताओं को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

जज ने स्वयं पुलिस स्टेशन जाकर सुनवाई कर सुनाया फैसला

साकेत कोर्ट के जज ने खुद पुलिस स्टेशन जाकर सुनवाई की और इसके बाद ये फैसला सुनाया। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी डीडीए ने मंदिर को ढहा दिया था और इसके बाद से लगातार इस कार्रवाई का विरोध किया जा रहा है। बुधवार की रात दक्षिणी दिल्ली में जमकर हिंसा हुई जिसमें कार्यकर्ताओं ने गाडियों को आग लगा दी और खूब उत्पात मचाया। इस घटना में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए और पुलिस ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए हवा में फायरिंग भी की।

अदालत ने अपने आदेश पर राजनीति करने से चेताया था

इससे पहले 19 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा और पंजाब सरकार को कानून- व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश जारी किए थे। पीठ ने साफ कहा कि उसके आदेशों के तहत गिराए गए मंदिर पर राजनीति नहीं की जा सकती।

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने कहा कि कोर्ट के आदेशों को धरती पर कोई भी राजनीतिक रंग नहीं दे सकता। पीठ ने ये टिप्पणी उस समय की जब केंद्र की ओर से यह बताया गया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक मंदिर को ढहा दिया गया है जबकि 18 संगठनों ने इस दौरान कार्रवाई का विरोध किया। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में इसका विरोध हो रहा है इसलिए इन सरकारों को निर्देश दिए जाए कि वो कानून व्यवस्था के मुद्दों की देखभाल करें।

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में तुगलकाबाद वन क्षेत्र में गुरु रविदास मंदिर के ढहाए जाने का राजनीतिकरण करने के खिलाफ चेतावनी दी थी और धरना और प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी दी थी। पीठ ने यह कहा था कि वह अवमानना शुरू कर सकता है।

क्या है यह पूरा मामला

दरअसल दिल्ली के तुगलकाबाद स्थित रविदास के मंदिर को डीडीए द्वारा ढहा दिया गया था। डीडीए का यह दावा रहा है कि मंदिर अवैध तरीके से कब्ज़ा की गई ज़मीन पर बना था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को ये सुनिश्चित कराने का आदेश दिया था कि 13 अगस्त से पहले मंदिर गिरा दिया जाए। 10 अगस्त को मंदिर गिरा दिया गया।

इससे पहले संत रविदास जयंती समिति समारोह के ज़मीन पर दावे को सबसे पहले ट्रायल कोर्ट ने 31 अगस्त 2018 को ख़ारिज किया था और 20 नवंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। इस साल 8 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटने से इंकार करते हुए मंदिर गिराए जाने का आदेश दिया था।

डीडीए का यह दावा था कि दिल्ली लैंड रिफॉर्म एक्ट 1954 के बाद ज़मीन केंद्र की हो गई है। डीडीए ने हाई कोर्ट को ये भी बताया था कि राजस्व रिकॉर्ड में समिति के मालिकाना हक़ का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। डीडीए ने ये दलील भी दी कि विवादित ज़मीन वन क्षेत्र है इस वजह से वहां किसी तरह का निर्माण कार्य नहीं हो सकता। वहीं समिति का दावा था कि मंदिर पर मालिकाना हक उसका है।

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