पीएस नरसिम्हा सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में सीधी नियुक्ति पाने वाले 9वें वकील; सीजेआई भी बन सकते हैं

Update: 2021-08-30 06:47 GMT

सी‌नियर एडवोकेट पामि‌दिघनटम श्री नरसिम्हा 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ लेंगे। वह बार से सीधे पदोन्नत होने वाले सुप्रीम कोर्ट के नौवें जज होंगे और अपनी सेवानिवृत्ति से पहले मई 2028 में भारत के मुख्य न्यायाधीश भी बन सकते हैं।

नरसिम्हा ने मई 2014 से दिसंबर 2018 तक भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया था। उन्होंने इतालवी मरीन मामले, आपराधिक मानहानि की संवैधानिक वैधता, न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित एनजेएसी मामले में सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के प्रशासन से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थ के रूप में भी नियुक्त किया था। वह अयोध्या मामले में कुछ पक्षों के लिए भी पेश हुए थे।

वरिष्ठता के अनुसार, नरसिम्हा 30 अक्टूबर, 2027 से मई 2028 तक भारत के चीफ जस्टिस के पद पर काबिज होने की कतार में हैं।

बार से सीधी नियुक्ति

भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के अनुसार, एक व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त होने का पात्र है यदि वह (ए) कम से कम पांच साल तक हाईकोर्ट या दो या अधिक ऐसे न्यायालयों में लगातार जज रहा हो; या (बी) कम से कम दस साल के लिए एक हाईकोर्ट या दो या दो से अधिक ऐसे न्यायालयों के लगातार अधिवक्ता रहा हो; या (सी) राष्ट्रपति की राय में, एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता है। सुप्रीम कोर्ट में अधिकांश पदोन्नति कैटेगरी ए के अंतर्गत होता है। आज तक किसी भी 'प्रतिष्ठित न्यायविद' (कैटेगरी सी)) को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त नहीं किया गया है। निम्नलिखित न्यायाधीशों की नियुक्तियां श्रेणी (बी) के अंतर्गत थीं:

जस्टिस सर्व मित्र सीकरी

जस्टिस एसएम सीकरी सुप्रीम कोर्ट के पहले जज थे, जिन्हें सीधे बार से नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1930 में लाहौर हाईकोर्ट से अभ्यास शुरू किया, और बाद में सहायक महाधिवक्ता, पंजाब (1949) और महाधिवक्ता, पंजाब, (1951-64) के रूप में कार्य किया। फरवरी, 1964 में वह सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए, बाद में जनवरी 1971 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बने। वह केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य में निर्णय देने के एक दिन बाद 25 अप्रैल 1973 को सेवानिवृत्त हुए। वह गोलक नाथ बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में बहुमत के फैसले का भी हिस्सा थे, जिसे केशवानंद में खारिज कर दिया गया था ।

जस्टिस सुबिमल चंद्र रॉय

जस्टिस एससी रॉय, कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष पहले तीन ऑरिजनल साइड प्रैक्टिशनर में से एक थे, जिन्हें 1968 में अधिवक्ता अधिनियम की धारा 16 (2) के तहत वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया था। उन्हें 19 जुलाई, 1971 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया था। लेकिन, कुछ महीने बाद 12 नवंबर 1971 को उनका निधन हो गया।

जस्टिस कुलदीप सिंह

जस्टिस कुलदीप सिंह, 14 दिसंबर 1988 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति से पहले, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में वकील के रूप में अभ्यासरत थे। उन्होंने मई, 1987 से अगस्त, 1987 तक पंजाब के महाधिवक्ता के रूप में कार्य किया। वह 21 दिसंबर 1996 को सेवानिवृत्त हुए। .

जस्टिस एन संतोष हेगड़े

जस्टिस एन. संतोष हेगड़े को मई, 1984 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। उन्होंने कर्नाटक राज्य के लिए महाधिवक्ता के रूप में और बाद में 25 अप्रैल, 1998 को भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में कार्य किया। उन्हें 8 जनवरी 1999 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया था। वह 16 जून 2005 को सेवानिवृत्त हुए।

जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन

जस्टिस रोहिंटन नरीमन को 7 जुलाई 2014 को सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया था। वह 37 वर्ष की छोटी उम्र में एक वरिष्ठ अधिवक्ता बन गए थे। उन्होंने भारत के सॉलिसिटर जनरल के रूप में भी कार्य किया। उनका सात साल लंबा कार्यकाल 12 अगस्त, 2021 को समाप्त हुआ था।

जस्टिस उदय उमेश ललित

जस्टिस यूयू ललित फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं। उन्हें 13 अगस्त 2014 को नियुक्त किया गया था। पदोन्नति से पहले, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की थी और अप्रैल, 2004 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। वह 8 नवंबर, 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। वह संक्षिप्त अवधि के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश भी बन सकते हैं।

जस्टिस एल नागेश्वर राव

13 मई 2016 को जस्टिस नागेश्वर राव बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होने वाले 7वें वकील थे। सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 8 जून 2022 तक है।

जस्टिस इंदु मल्होत्रा

जस्टिस इंदु मल्होत्रा पहली महिला न्यायाधीश थीं, जिन्हें सीधे बार से पदोन्नत किया गया था। वह 1983 में कानूनी पेशे में शामिल हुईं और जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के रूप में योग्य हो गईं। 2007 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। 30 वर्षों से ज्यादा अंतराल के बाद सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नामित होने वाली दूसरी महिला बन गईं। वह 13 मार्च, 2021 को सेवानिवृत्त हुईं।

यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि बार से सीधी नियुक्ति में 2014 के बाद से वृद्धि देखी गई है। 1950-2014 के बीच, बार से सीधे केवल चार जजों की नियुक्ति की गई थी।

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