जेल में बंद आरोपियों को अदालत के समक्ष पेश करना पुलिस का कर्तव्य है, पुलिस की लापरवाही के लिए आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब आरोपी व्यक्ति जेल में हैं तो यह पुलिस का कर्तव्य है कि उन्हें ट्रायल कोर्ट के सामने पेश किया जाए। यदि पुलिस उन्हें अदालत में पेश करने में विफल रहती है तो पुलिस की ऐसी लापरवाही का खामियाजा आरोपियों को नहीं भुगतना चाहिए।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने एक जमानत याचिका (सतेंद्र बाबू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य ) पर फैसला करते हुए ये टिप्पणियां कीं। आरोपी एक साल चार महीने तक सलाखों के पीछे रहा और आरोप पत्र दाखिल किया गया।
याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी का इस आधार पर विरोध किया गया कि याचिकाकर्ता ट्रायल कोर्ट के सामने पेश नहीं हुआ और इस तरह वारंट जारी किया गया।
पीठ ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा,
"चूंकि याचिकाकर्ता जेल में है इसलिए उसे ट्रायल कोर्ट के सामने पेश करना पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य था। पुलिस अधिकारियों की ओर से लापरवाही के लिए याचिकाकर्ता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।"
याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के अनुसार जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया गया था।
केस टाइटल: सतेंद्र बाबू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य
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