कुछ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई टालने का अनुरोध किया, केंद्र ने कहा- कई राज्यों के जवाब का इंतजार है
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा दायर कर हिंदुओं को अल्पसंख्यक (Hindu Minority) का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर उन राज्यों के लिए और समय मांगा है जहां उनकी संख्या कम है।
29 अगस्त को दायर हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र सरकार पहले ही नागालैंड, पंजाब, मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू- कश्मीर और लद्दाख गृह मंत्रालय, कानून और न्याय मंत्रालय के कानूनी मामलों के विभाग, शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग, अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग और अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान के लिए राष्ट्रीय आयोग से इनपुट के साथ बैठकें कर चुकी है।
हलफनामे के अनुसार, उक्त हितधारकों ने अन्य हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के लिए कुछ समय के लिए अनुरोध किया है, इससे पहले कि वे शामिल मुद्दों के दूरगामी प्रभाव के कारण इस मामले में एक सुविचारित राय बनाते हैं।
हलफनामे में आगे कहा गया है कि पंजाब, मिजोरम, मेघालय और लद्दाख के यूआर की राज्य सरकारें पहले ही अपनी टिप्पणी और विचार प्रस्तुत कर चुकी हैं। हालांकि, इस मामले में नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार की टिप्पणियां और विचार अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं।
यह भी कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश राज्यों से प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है। हलफनामे के अनुसार, राज्यों को एक रिमाइंडर भेजा गया जिसमें उनसे अपनी टिप्पणी देने का अनुरोध किया गया है। मंत्रालय ने आगामी सप्ताहों में शेष राज्यों के साथ बैठकें करने का भी प्रस्ताव किया है ताकि उनके विचार रखे जा सकें। इसलिए उन्होंने और समय मांगा है।
इस मामले पर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के रुख में बदलाव पर निराशा जताई थी।
जबकि 28 मार्च को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा दायर पहले हलफनामे में कहा गया था कि यह संबंधित राज्यों के लिए है कि वे इस मामले पर विचार करें, पहले हलफनामे के अधिक्रमण में दायर एक अन्य हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र के पास अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने की शक्ति है। लेकिन इस मुद्दे पर अपनी स्थिति को अंतिम रूप देने के लिए व्यापक परामर्श की आवश्यकता है।
नवीनतम रुख पर ध्यान देते हुए, कोर्ट ने 10 मई को केंद्र को राज्यों के साथ परामर्श प्रक्रिया पर 3 महीने के भीतर एक स्टेटस रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था।
केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ रिट याचिका (सी) संख्या 836 ऑफ 2020