1962 से एक भी महिला अध्यक्ष नहीं बनी : सुप्रीम कोर्ट ने आगामी दिल्ली हाईकोर्ट बार चुनावों में उपाध्यक्ष पद महिला वकीलों के लिए आरक्षित करने का सुझाव दिया

Update: 2024-09-26 05:07 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को आगामी बार चुनावों में उपाध्यक्ष पद महिला वकीलों के लिए आरक्षित करने पर विचार करने का सुझाव दिया। सुझाव देते हुए कोर्ट ने इस बात पर अफसोस जताया कि 1962 से बार की एक भी महिला अध्यक्ष नहीं बनी।

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ दिल्ली के बार निकायों में महिला वकीलों के लिए आरक्षण की मांग करने वाली याचिकाओं पर विचार कर रही थी, जब उसने सीनियर एडवोकेट विकास सिंह (DHCBA की ओर से पेश) से निर्देश देने को कहा। दिल्ली बार चुनाव 19 अक्टूबर को होने हैं।

जस्टिस कांत ने सिंह से कहा,

"हम चाहते हैं कि आप लोग कृपा करके हमें दो पद सुझाएं, जिनमें से एक पद हमें आरक्षित लगता है। हमें पदोन्नति करनी होगी। केवल निराशाजनक बात यह थी, जब उन्होंने बताया कि 1962 से अब तक कोई महिला अध्यक्ष नहीं चुनी गई। अब हम 2024 में हैं। तो चलिए कुछ सुखद बात से शुरुआत करते हैं। वह उपाध्यक्ष हो सकता है। चलिए एक मौका लेते हैं। अगर आप कल इस बारे में बात करेंगे तो हम वाकई आभारी होंगे।"

यह स्पष्ट किया गया कि पीठ केवल दिल्ली हाईकोर्ट बार के आगामी चुनावों के संबंध में निर्देश मांग रही थी।

जस्टिस कांत ने कहा,

"इस चुनाव के लिए एडहॉक उपाय के रूप में हम उपाध्यक्ष का सुझाव दे रहे हैं। भविष्य के लिए आप खुद ही निर्णय ले लेंगे।"

न्यायालय दिल्ली के वकील निकायों अर्थात बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD), दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) और सभी जिला बार एसोसिएशनों में महिला वकीलों के लिए 33% आरक्षण की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर विचार कर रहा था।

इनमें से एक याचिका वकील शोभा गुप्ता ने दायर की थी, जिन्होंने तर्क दिया कि BCD और अन्य बार एसोसिएशनों में प्रभावी पदों पर महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व उनके अधिकारों और न्याय तक पहुंच को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। साथ ही न्याय प्रणाली की समग्र प्रभावशीलता को भी कम कर सकता है।

दिल्ली में सभी वकील बार के आगामी बार काउंसिल चुनावों में 33% आरक्षण के लिए निर्देश मांगते हुए गुप्ता ने शुरू में दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन 11 सितंबर को हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया और मामले को 27 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया।

चूंकि दिल्ली बार चुनाव 19 अक्टूबर को होने वाले हैं। कोई अंतरिम राहत नहीं दी गई, इसलिए याचिकाकर्ताओं की प्रार्थनाएं निरर्थक प्रतीत होती हैं। इस पृष्ठभूमि में वर्तमान याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की गईं, जिसमें कहा गया कि चुनाव की प्रक्रिया मतदाता सूची की घोषणा/अंतिम रूप देने के साथ शुरू हो गई।

याचिकाओं पर 20 सितंबर को नोटिस जारी किया गया।

इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने SCBA चुनावों में 33% महिला आरक्षण को लागू करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल:

(1) अदिति चौधरी बनाम दिल्ली बार काउंसिल और अन्य, डायरी नंबर 42332-2024

(2) शोभा गुप्ता और अन्य बनाम दिल्ली बार काउंसिल और अन्य, डायरी नंबर 42644-2024

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