जेल में किसी को भी लग्जरी नहीं मिल सकती: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2023-05-30 04:52 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टिप्पणी की कि किसी के लिए जेल में विलासिता की उम्मीद करना असंभव है।

जस्टिस बेला त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में अस्थायी जमानत की मांग करने वाली हर्ष देव ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा,

"जेल में किसी के पास लग्जरी (विलासिता) नहीं हो सकती।"

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील द्वारा राहत के लिए दबाव डालने के बाद अदालत को यह टिप्पणी करने के लिए प्रेरित किया गया।

वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता जेल में रहने के दौरान "विलासिता" में नहीं था। प्रतिवादियों के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने 2.5 करोड़ रुपये से अधिक का डायवर्ट किया।

याचिकाकर्ता के वकील ने आगे कहा कि जब तक वह जेल में है, धन की व्यवस्था करना असंभव है।

कहा गया,

“जेल के अंदर से मैं इस तरह के फंड की व्यवस्था नहीं कर सकता। मेरे शेयरों, म्युचुअल फंडों तक पहुंच सहित मेरी सभी संपत्तियां ले ली गई हैं…”

उन्होंने आगे बताया कि हाईकोर्ट यह कहते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर रहा है कि उन्हें पहले सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी। उनका अन्य निवेदन यह है कि इस मामले में सुनवाई आगे नहीं बढ़ रही है।

उन्होंने कहा,

"अभियोजन गवाह अब नहीं आ रहे हैं, मिलॉर्ड्स"।

बेंच ने पूछा,

"क्या वे आपसे डरते हैं?"

इस बेंच में जस्टिस प्रशांत कुमार भी शामिल थे।

इसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और सुनवाई में तेजी लाने का आदेश दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता के उस अनुरोध को भी खारिज कर दिया, जिसमें ट्रायल पूरा करने के लिए समय सीमा निर्दिष्ट करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

बेंच ने कहा,

"हम कोई समय सीमा नहीं दे सकते।"

बार-बार पूछने के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता को 'उचित समय अवधि' के साथ ट्रायल पूरा नहीं होने पर अदालत जाने की अनुमति दी।

बेंच ने कहा,

"यदि ट्रायल उचित समय के भीतर पूरा नहीं हुआ तो हम उन्हें अस्थायी जमानत के लिए फाइल करने की अनुमति देते हैं।"

केस टाइटल: हर्ष देव ठाकुर बनाम यूपी राज्य

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