एनजीटी ने अवैध खनन और स्टोन क्रशरों पर कार्रवाई के लिए झारखंड सरकार को दिया निर्देश

Update: 2019-09-16 02:14 GMT

एनजीटी ने झारखंड के राज्य अधिकारियों को निर्देश दिया है कि अवैध खनन और स्टोन क्रशरों के संचालन के कारण राज महल (साहेबगंज जिला) की पहाड़ियों को होने वाले नुकसान के खिलाफ कार्रवाई करें।

एनजीटी की पूर्वी जोन की पीठ (ईजेड) ने इस मामले में एक रामचंद्र चौरसिया नामक व्यक्ति द्वारा भेजे गए एक पत्र पर यह कार्रवाई शुरू की है। अधिकरण ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) और साहेबगंज के प्रभागीय वन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह इस मामले को संयुक्त रूप से देखें और उचित कार्रवाई करें।

अधिकरण इसी तरह के मुद्दे पर एक अन्य मामले( सैय्यद अरशद नसर बनाम भारत संघ व अन्य ) में भी विचार कर रहा है। सैय्यद अरशद नसर केस में अधिकरण ने इस मामले को देखने के लिए सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड), एमओईएफ और सीसी (पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय), एसईआईएए (राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण), झारखंड के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति का गठन किया था।

सैय्यद अरशद नसर केस में गठित कमेटी ने अवैध खनन व स्टोन क्रशर के मामले में छह जून 2019 को अपनी निरीक्षण रिपोर्ट अधिकरण के समक्ष दायर की थी। इस रिपोर्ट में कुछ अनुशंसा भी की गई थीं, जिनमें छोड़ी गई या खाली पड़ी खानों को तुरंत बंद करने,साइट के पास प्रदूषण नियंत्रण प्रणालियों की व्यवस्था करना, जेएसपीसीबी में तकनीकी स्टाफ इंजीनियरों की संख्या बढ़ाने और अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रशरों को रोकना आदि शामिल थी, ताकि पारिस्थितिकी तंत्र और अन्य संवदेनशील वनस्पति और जीवों को खतरा पैदा न हो।

जेएसपीसीबी के सदस्य सचिव ने अधिकरण को मामले की सुनवाई के दौरान बताया था कि 407 स्टोन क्रशर और 300 खान है और उनकी जानकारी के अनुसार अधिक्तर पर्यावरण के नियमों का पालन करते हैं।

हालांकि ईजेड पीठ ने कहा कि ऐसे कोई आंकड़ें पेश नहीं किए गए, जिनके आधार पर यह कहा जा सके कि कितने स्टोन क्रशर व कितनी खान नियमों का पालन कर रही हैं और कितने नहीं। वहीं संयुक्त समिति ने भी इस संबंध में कोई विशेष सूचना अपनी रिपोर्ट में नहीं उपलब्ध करवाई। जिससे पता चल सके कि कौन-कौन नियमों का पालन कर रहा है और कौन नहीं।

रिपोर्ट की त्रुटियों को देखते हुए अधिकरण ने समिति को निर्देश दिया था कि वह फिर से अपनी रिपोर्ट दायर करे, जिसमें विशेष तौर पर यह बताया जाए कि कौन-कौन सी खान व स्टोन क्रशर के मालिक नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। जेएसपीसीबी को भी निर्देश दिया था कि वह गैर-अनुरूप या नियमों का पालन न करने वाले स्टोन क्रशरों और खानों के खिलाफ कार्रवाई करे और 'प्रदूषण फैलाने वाला भुगतान करता है या पोलटर पेयर'सिद्धांत के आधार पर पर्यावरण को हुए नुकसान का मूल्यांकन करके उसने मुआवजा वसूला जाए। जेएसपीसीबी को निर्देश दिया गया था कि वह एक माह के अंदर रिपोर्ट दायर करके बताएं कि क्या कार्रवाई की गई है।

इस मामले में अब 8 नवम्बर 2019 को अगली सुनवाई होगी। साथ में सैय्यद अरशद नसर बनाम भारत संघ व अन्य और प्रदीप कुमार सिंह बनाम झारखंड राज्य मामले की भी सुनवाई होगी क्योंकि इन सभी मामलों में यही मुद्दा उठाया गया है। 



Tags:    

Similar News