NEET| 2019 के नतीजों के आधार पर छात्रों को एमबीबीएस प्रवेश के लिए 2022 काउंसलिंग में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2023-09-27 06:55 GMT

सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा 14 जुलाई, 2022 को पारित एक अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत NEET 2019 के परिणामों के आधार पर पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए मेडिकल छात्रों को प्रवेश के लिए अगस्त 2022 में शुरू होने वाली प्रवेश प्रक्रिया के लिए काउंसलिंग सत्र में भाग लेने की अनुमति दी गई थी।

दरअसल जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने दो आधारों पर लागू आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि NEET 2019 परिणाम एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए वर्ष 2022 में काउंसलिंग की अनुमति देने का आधार नहीं हो सकते। इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी कहा कि अंतरिम आदेश से ऐसा निर्देश नहीं दिया जा सकता।

कोर्ट ने कहा, "...2019 NEET परिणाम एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए वर्ष 2022 में काउंसलिंग की अनुमति देने का आधार नहीं हो सकते।"

पृष्ठभूमि

मामला राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET UG 2019) में उपस्थित हुए तीन अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की थी, जिन्हें क्रमशः 77.5, 76.9 और 52.68 प्रतिशत के साथ क्रमशः 314773, 325058 और 664781 रैंक प्राप्त हुई थी। सभी तीन याचिकाकर्ताओं ने 22 जुलाई, 2019 को उपयुक्त प्राधिकारी से निर्धारित प्रारूप में ईडब्ल्यूएस पात्रता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था।

हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच के समक्ष, यह प्रस्तुत किया गया कि जब जलपाईगुड़ी निवासी तीन याचिकाकर्ताओं ने पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में चयन प्रक्रिया के राउंड 2 काउंसलिंग में उपस्थित होने के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया तो उन्हें बताया गया गया कि वे राउंड 2 के लिए उपस्थित होने के पात्र नहीं थे क्योंकि उन्हें ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया था।

ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र अंततः 8 अगस्त, 2019 को याचिकाकर्ताओं तक पहुंचा, उस समय तक राउंड 2 काउंसलिंग पूरी हो चुकी थी।

हाईकोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा में ऊंचे अंक प्राप्त किए हैं और पश्चिम बंगाल राज्य के लिए इसी रैंकिंग के साथ अखिल भारतीय परीक्षा में अच्छी रैंकिंग प्राप्त की है। इस मामले के तथ्यों की असमानताओं को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रभारी रजिस्ट्रार को यह निर्देश देना उचित समझा कि याचिकाकर्ताओं को WB UG एमबीबीएस स्टेट कोटा सीट्स 2019 के लिए ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्रों के आधार पर, जिसे उन्हें 8 अगस्त, 2019 को जारी किया गया था, एमओपी यूपी काउंसलिंग में उपस्थित होने की अनुमति दी जाए।

इससे व्यथित होकर, विश्वविद्यालय के प्रभारी रजिस्ट्रार ने उक्त आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट की दो जजों पीठ के समक्ष अपील दायर की। अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर ध्यान दिया कि याचिकाकर्ताओं से नीचे की रैंकिंग वाले व्यक्तियों को प्रवेश दिया गया है।

उसी के मद्देनजर, न्यायालय ने आदेश दिया,

“इसलिए, इस न्यायालय का प्रथम दृष्टया विचार है कि याचिकाकर्ता को कम से कम पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए अगस्त 2022 में शुरू होने वाली प्रवेश प्रक्रिया के लिए काउंसलिंग सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए। "

रिट याचिका की यथास्थिति

उल्लेखनीय है कि, इस मुकदमे को शांत करने के लिए, सुप्रीम कोर्ट का विचार था कि एकल न्यायाधीश ने वर्ष 2019 में ऐसे निर्देश जारी किए थे, जिस पर डिवीजन बेंच ने रोक लगा दी थी, जिसके परिणामस्वरूप 2022 में आक्षेपित को आदेश को बंद करने की आवश्यकता है। इसलिए, न्यायालय ने प्रभारी रजिस्ट्रार की अपील स्वीकार कर ली और रिट याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल: प्रभारी रजिस्ट्रार और अन्य बनाम मेधाश्री गोस्वामी और अन्य, सिविल अपील नंबर 6084/2023

साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एससी) 825

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