मोटर दुर्घटना मुआवजे का दावा - यदि बीमा कंपनी उत्तरदायी ना हो तो आमतौर पर 'भुगतान और वसूली' के लिए कोई निर्देश नहीं होता: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2022-11-09 08:01 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बीमा कंपनी उत्तरदायी ना हो तो आमतौर पर "भुगतान और वसूली" का कोई निर्देश नहीं दिया जाता।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर विचार करते हुए उक्त टिप्पणी की। हाईकोर्ट के आदेश में माना गया था कि बीमा कंपनी मुआवजे की प्रतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी नहीं थी।

अपील में उठाया गया मुद्दा यह था कि क्या बीमा कंपनी को मामले में तथ्यों के मद्देनज़र "भुगतान और वसूली" के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा,

"कानून अच्छी तरह से तय है कि यदि बीमा कंपनी की देयता तय की जाती है और उन्हें उत्तरदायी नहीं ठहराया जाता है तो आमतौर पर" भुगतान और वसूली" के लिए कोई निर्देश नहीं दिया जाता। हालांकि, प्रत्येक मामले में उत्पन्न तथ्यों और परिस्थितियों के अनुसार, न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इस न्यायालय द्वारा उचित आदेश दिए जाने की आवश्यकता है ... यह स्पष्ट है कि सभी मामलों में "भुगतान और वसूली" का ऐसा आदेश तब पैदा नहीं होगा, जब बीमा कंपनी उत्तरदायी नहीं होगी, हालांकि न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इस न्यायालय को तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करना चाहिए।" 

हालांकि, अदालत ने कहा कि यदि दावेदार वाहन के मालिक से इस स्तर पर अपने पक्ष में दिए गए मुआवजे की राशि की वसूली करने में सक्षम नहीं है, तो वह पूर्वाग्रह से ग्रस्त होगा।

पीठ ने अपील का निस्तारण करते हुए कहा,

"हालांकि, बीमा कंपनी को अगर अपीलकर्ता को भुगतान करने और वाहन मालिक से इसे वसूल करने का आदेश दिया जाता है, तो उस हद तक पूर्वाग्रह नहीं होगा .. इसलिए, सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, और इस मामले को उदाहरण ना बनाते हुए, बल्‍कि मामले के तथ्यों के अनुसार न्याय के लक्ष्य को पूरा करने के लिए, हम उस प्रतिवादी संख्या एक (बीमा कंपनी) को इस निर्णय की एक प्रति प्राप्त होने की तारीख से आठ सप्ताह के भीतर एमएसीटी के समक्ष मुआवजे की राशि जमा करने का निर्देश देते हैं, जिसके बाद, एमएसीटी अपीलकर्ता को मुआवजे की राशि का वितरण करेगा।",

केस डिटेलः बालू कृष्ण चव्हाण बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड | 2022 लाइव लॉ (SC) 932 | SLP(C) No. 33638/2017 | 3 Nov 2022 | 3 नवंबर 2022 | जस्टिस एएस बोपन्ना और पीएस नरसिम्हा


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