चोरी के बारे में बीमा कंपनी को सूचना देने में हुई देर के एकमात्र आधार पर बीमा क्लेम खारिज नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीमा कंपनी को केवल चोरी की घटना के बारे में बताने में हुई देरी, बीमित व्यक्ति के दावे को खारिज करने का आधार नहीं हो सकता। एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि सिर्फ चोरी की घटना की सूचना देने में देरी के आधार पर बीमा का दावा खारिज नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति एन.वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीश की पीठ एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह मुद्दा उठाया था कि हालांकि प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट तुरंत दर्ज करा दी गई थी, लेकिन क्या बीमा कंपनी को वाहन की चोरी की सूचना देने में हुई देरी, बीमा दावा के दावेदार के बीमा पाने के अधिकार खारिज कर देगा।
जस्टिस एन.वी रमना,जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी.आर गवई पीठ ने ओमप्रकाश बनाम रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के फैसले में व्यक्त विचारों से सहमति व्यक्त की, जिसमें कहा गया था कि अगर दावेदार को केवल इस आधार पर दावा (क्लेम) देने इनकार किया जाता है कि चोरी की घटना के बारे में बीमा कंपनी को सूचना देने में कुछ देरी हुई है, तो यह एक उच्च तकनीकी दृष्टिकोण होगा। यह माना गया था कि वास्तविक दावों को अस्वीकार करना उचित और तर्कपूर्ण नहीं होगा जो पहले ही सत्यापित हो चुके हैं और जांचकर्ता द्वारा सही पाए गए थे।
इस संदर्भ में जवाब देते हुए बेंच ने कहा कि
" जब किसी बीमा धारक ने वाहन की चोरी के तुरंत बाद प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज करा दी थी और जांच के बाद पुलिस वाहन का पता नहीं लगा पाई है और उन्होंने अंतिम रिपोर्ट पेश कर दी है और जब बीमा कंपनी द्वारा नियुक्त सर्वेक्षकों/जांचकर्ताओं ने चोरी के दावे को सही पाया किया है तो केवल चोरी की घटना के बारे में बीमा कंपनी को सूचित करने में हुई देरी, बीमाधारक के दावे को खारिज करने के लिए एक आधार नहीं हो सकती।"
न्यायालय ने कहा कि-
" वाहन चोरी होने के बाद एक व्यक्ति, जिसने अपना वाहन खो दिया है, तुरंत प्राथमिकी दर्ज कराएगा और ऐसे व्यक्ति से अपेक्षित तत्काल आचरण वाहन की तलाश में पुलिस की सहायता करना होगा। वाहन की चोरी के संबंध में प्राथमिकी का दर्ज होना और वाहन न मिलने के बाद पुलिस की अंतिम रिपोर्ट, इस बात की पुष्टि करती है कि दावेदार का यह दावा सही है कि उसका वाहन चोरी हो गया है।
इतना ही नहीं, बल्कि बीमा कंपनी द्वारा नियुक्त किए गए सर्वेक्षणकर्ताओं को भी यह जांचना आवश्यक होता है कि चोरी के संबंध में दावेदार का दावा वास्तविक है या नहीं। यदि बीमा कंपनी द्वारा नियुक्त किया गया सर्वेक्षणकर्ता, जांच के बाद यह पता लगाता है कि चोरी का दावा वास्तविक है, इसी के साथ मामले में एफआईआर तत्काल दर्ज की जाना , हमारे विचार में, वाहन चोरी होने का निर्णायक प्रमाण होगा।"
केस का नाम-गुरशिन्दर सिंह बनाम श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कपनी लिमिटेड
केस नंबर-सिविल अपील नंबर 653/2020
कोरम- जस्टिस एन.वी रमना, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी.आर गवई
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