"मीडिया आपको जानकारी देता है? अपने स्रोत का खुलासा करें"; सुप्रीम कोर्ट ने चीन एवं भारत के बीच एमओयू के खिलाफ जनहित याचिका की प्रति केंद्र सरकार को सौंपने का याचिकाकर्ता को दिया निर्देश

Update: 2020-11-07 05:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, गुजरात और महाराष्ट्र सरकार एवं अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज तथा चीनी समकक्षों के बीच हुए मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) को समाप्त करने के निर्देश देने संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाककर्ता को शुक्रवार को निर्देश दिया कि वे केंद्र सरकार को याचिका की एक प्रति उपलब्ध कराये।

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिका में कही गयी इस बात का संज्ञान लिया कि याचिकाकर्ता की जानकारी का स्रोत मीडिया है। परिणामस्वरूप, बेंच ने याचिकाकर्ता को कोर्ट के समक्ष अपने स्रोत का खुलासा करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

"आपका कहना है कि आपकी जानकारी का स्रोत मीडिया है। मीडिया आपको जानकारी देता है? आपको कोर्ट के समक्ष अपने स्रोत का खुलासा करना होगा। आप केंद्र सरकार को एक प्रति उपलब्ध करायें और तब हम मामले पर विचार करेंगे।"

याचिकाकर्ता सुप्रिया पंडिता की ओर से एडवोकेट ओम प्रकाश परिहार और दुष्यंत तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि चीन के एप्लीकेशन्स पर प्रतिबंध के बावजूद, कुछ चुनिंदा कारोबारों और / या राज्य सरकारों को चीन के व्यावसायिक घरानों या चीनी हितधारकों (स्टेकहोल्डर्स) के साथ एमओयू की अनुमति प्रदान की गयी है।

याचिका में कहा गया है,

"कुछ चुनिंदा कारोबारों, या कुछ चुनिंदा राज्यों को चीन के व्यापारिक घरानों या हितधारकों के साथ एमओयू करने की अनुमति देना न केवल विभेदपूर्ण है, बल्कि भारत की जनता की इच्छाओं और भावनाओं के खिलाफ है।"

समाचार पत्रों एवं वेबसाइटों सहित विभिन्न स्रोतों से याचिकाकर्ता को मिली जानकारियों और सूचनाओं के मद्देनजर याचिका में चीन की सरकार के साथ व्यापार नीतियों का पूरा खुलासा करने की मांग की गयी है।

याचिका में कारोबार और व्यापारिक उद्देश्यों की पूर्त्ति के लिए चीन की सरकार और / या चीनी कंपनियों के साथ हुए एमओयू को समाप्त करने का निर्देश देने का कोर्ट से अनुरोध किया गया है, क्योंकि ये एमओयू न केवल भेदभावपूर्ण हैं, बल्कि भारत की जनता की इच्छाओं और भावनाओं के खिलाफ हैं। इतना ही नहीं, ये एमओयू आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान के भी खिलाफ हैं।"

याचिका डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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