लखीमपुर खीरी केस : ' मुख्य गवाह पर हमला किया गया, अब कहा गया, बीजेपी चुनाव जीत गई है, वे उसका ख्याल रखेंगे' : प्रशांत भूषण ने आशीष मिश्रा के खिलाफ याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा
लखीमपुर खीरी मामले में आशीष मिश्रा को मिली जमानत को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि लखीमपुर खीरी मामले के मुख्य गवाहों में से एक पर बेरहमी से हमला किया गया था और कहा गया था कि अब जबकि बीजेपी ने राज्य के चुनाव में जीत हासिल की है, उसका ध्यान रखा जाएगा।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश भूषण ने कहा,
'उन्हें (मिश्रा) जमानत मिलने के बाद, मुख्य संरक्षित गवाहों में से एक पर बेरहमी से हमला किया गया था। जिन लोगों ने उन पर हमला किया, उन्होंने कहा, वाह, बीजेपी चुनाव जीत गई है, वे उनका ख्याल रखेंगे।'
सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच की मांग करने वाले मूल मामले की सुनवाई करने वाली बेंच को ही मौजूदा मामले पर विचार करना चाहिए।
इसलिए पीठ ने मामले को कल तक के लिए स्थगित कर दिया, ताकि अदालत सीजेआई रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ का गठन कर सके।
अदालत इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को चुनौती देते हुए लखीमपुर खीरी घटना में मारे गए किसानों के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही है।
अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत को सूचित किया कि लखीमपुर खीरी मामले में एक गवाह पर हमला किया गया था, इस मामले को जल्द सूचीबद्ध करने की मांग के बाद मामले को आज अदालत के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।
जमानत आदेश:
जमानत आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि यह संभव है कि विरोध करने वाले वाहन के चालक ने प्रदर्शनकारियों से खुद को बचाने के लिए तेज गति करने की कोशिश की हो।
कोर्ट ने कहा था,
"यदि अभियोजन पक्ष की कहानी स्वीकार कर ली जाती है, तो हजारों प्रदर्शनकारी घटना स्थल पर एकत्र हो गए और इस बात की संभावना हो सकती है कि चालक ने खुद को बचाने के लिए वाहन को तेज करने की कोशिश की, जिसके कारण घटना हुई थी।"
मामले के समग्र तथ्यों पर विचार करते हुए, कोर्ट ने कहा कि वह थार वाहन में बैठे तीन लोगों की हत्या पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता, जिसमें चालक भी शामिल था, जिन्हें प्रदर्शनकारियों ने मार दिया था।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि केस डायरी में उपलब्ध तस्वीर में प्रदर्शनकारियों की क्रूरता का स्पष्ट रूप से खुलासा हुआ, जो उक्त तीन व्यक्तियों, हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की पिटाई कर रहे थे।
कोर्ट ने मामले के जांच अधिकारी के इस निष्कर्ष को भी ध्यान में रखा कि थार वाहन से प्रदर्शनकारियों को टक्कर मारने की उक्त घटना के बाद, प्रदर्शनकारियों ने शुभम मिश्रा, हरिओम मिश्रा और श्याम सुंदर का पीछा किया था और उन्हें बेरहमी से पीटा गया था. जिससे उनकी मौत हो गई।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका
सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि जमानत देने के लिए निर्धारित सिद्धांतों के संबंध में हाईकोर्ट के आदेश में राज्य द्वारा इस आशय के किसी भी ठोस प्रस्तुतीकरण पर चर्चा की कमी का कारण ये है कि आरोपी का राज्य सरकार पर काफी प्रभाव है क्योंकि उसके पिता उसी राजनीतिक दल से केंद्रीय मंत्री हैं जो राज्य पर शासन करता है।
इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं के अनुसार,हाईकोर्ट का अवलोकन,
"एक संभावना हो सकती है कि चालक ने खुद को बचाने के लिए वाहन को तेज करने की कोशिश की, जिसके कारण घटना हुई थी, "
विशेष रूप से विकृत है जबकि इसे दिखाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं था।
इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि चार्जशीट में वास्तव में इसके विपरीत सबूत हैं जो दिखाते हैं कि वाहन ' दंगल' के स्थल से निकलने के समय से 70-100 किमी / घंटा की तेज गति से दौड़ रहा था; जब वो पेट्रोल पंप के पास से गुजरा, जब उसने पुलिस क्रॉसिंग पार की; अपराध स्थल के रास्ते पर पहुंचा ; और इसे ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों सहित विभिन्न चश्मदीद गवाहों द्वारा प्रमाणित किया गया है।
पृष्ठभूमि
मूल रूप से, मिश्रा के खिलाफ 3 अक्टूबर को हुई एक घटना के लिए एक मामला दर्ज किया गया था, जिसमें 8 लोगों की जान चली गई, जिनमें से चार किसान प्रदर्शनकारी थे, जब केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के काफिले के वाहनों ने उन्हें कथित रूप से कुचल दिया।
कथित तौर पर, एसयूवी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा (आशीष मिश्रा के पिता) के काफिले का हिस्सा थी।
इसके बाद, पुलिस ने आशीष मिश्रा (मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे) और कई अन्य लोगों के खिलाफ हिंसा मामले में धारा 302 आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने 3 जनवरी को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में लखीमपुर की एक स्थानीय अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें मुख्य आरोपी के तौर पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा का नाम लिया गया था।
गौरतलब है कि दिसंबर में लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना की जांच कर रहे उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल ने लखीमपुर स्थानीय अदालत के समक्ष कहा था कि घटना के दौरान मौजूद लोगों को मारने की साजिश रची गई थी
एसआईटी ने दायर आरोप पत्र में कहा गया है,
"अब तक की गई जांच और एकत्र की गई सामग्री से ऐसा प्रतीत होता है कि उक्त अधिनियम आरोपी द्वारा किया गया लापरवाहीपूर्ण कार्य नहीं था, बल्कि यह जानबूझकर हत्या की पूर्व नियोजित योजना के अनुसार किया गया था..."
इसके अलावा, पुलिस ने अदालत के समक्ष यह भी प्रार्थना की थी कि सभी आरोपियों के खिलाफ धारा 304 ए (गैर इरादतन हत्या), 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाना), और 338 (गंभीर चोट पहुंचाना) को हटा दिया जाए और इसके बजाय उनके खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास) , 326 (खतरनाक हथियार से चोट पहुंचाना), 34 (कई व्यक्तियों द्वारा सामान्य इरादे से किए गए कार्य), और 3/25 आर्म्स एक्ट दर्ज किया जाए।
नवंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच की निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया।
यह आदेश भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ से आया है, जो 3 अक्टूबर की लखीमपुर खीरी हिंसा की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाले दो वकीलों द्वारा भेजी गई एक पत्र याचिका के आधार पर दर्ज एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।
केस : जगजीत सिंह और अन्य बनाम आशीष मिश्रा उर्फ मोनू और अन्य