INX मीडिया केस : सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम की ज़मानत आदेश के खिलाफ CBI की पुनर्विचार याचिका खारिज की
INX Media Case : SC Dismisses CBI's Review Petition Against Bail Granted To P Chidambaram
पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को जमानत देने के आदेश के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया।
जस्टिस आर बनुमथी, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा,
"हमने पुनर्विचार याचिका और जुड़े हुए कागजात का सावधानीपूर्वक अवलोकन किया है और आश्वस्त हैं कि जिस आदेश की पुनर्विचार की गई है वह स्पष्ट रूप से पुनर्विचार करने वाली किसी भी त्रुटि से ग्रस्त नहीं है।"
यह पिछले साल 22 अक्टूबर को INX मीडिया मामले में चिदंबरम को सीबीआई केस में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर बानुमति की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि इस दौरान चिदंबरम देश छोड़कर बाहर नहीं जाएंगे और जांच में सहयोग करेंगे। पीठ ने एक लाख के निजी मुचलके और दो श्योरटी पर जमानत दी थी।
हालांकि, तब उनकी रिहाई सुरक्षित नहीं हो सकी थी क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत कथित अपराधों के लिए दर्ज एक मामले में हिरासत में थे।
केवल 4 दिसंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ED द्वारा दर्ज मामले में जमानत दे दी थी और इस तरह 104 दिनों की हिरासत के बाद उनकी रिहाई का मार्ग प्रशस्त हुआ।
चिदंबरम को पिछले साल 21 अगस्त को सीबीआई ने 15 मई, 2017 को दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया था, जिसमें 2007 में वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान आईएनएक्स मीडिया समूह को 305 करोड़ रुपये के विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी में अनियमितता का आरोप लगाया गया था।
सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय दोनों ने आईएनएक्स सौदे के संबंध में उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध औरधन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अलग-अलग मामले दर्ज किए।
58 दिन हिरासत में, 15 दिन सीबीआई हिरासत और 53 दिन न्यायिक हिरासत में बिताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 22 अक्टूबर को सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में जमानत दी थी। न्यायमूर्ति आर बनुमथी की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट पीठ ने सीबीआई के इस तर्क को खारिज कर दिया कि चिदंबरम गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
हालांकि, वह सुप्रीम कोर्ट की राहत के बाद भी तिहाड़ जेल से रिहा नहीं हो सके क्योंकि उन्हें ED ने 17 अक्टूबर को हिरासत में ले लिया था।