BREAKING | VHP-इवेंट भाषण को लेकर जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा के महासचिव को सौंपा गया। प्रस्ताव पर 55 राज्यसभा सांसदों ने हस्ताक्षर किए, जो महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए आवश्यक 50 सांसदों की सीमा से अधिक है।
कपिल सिब्बल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने महाभियोग प्रस्ताव पेश किया। प्रतिनिधिमंडल में सांसद विवेक तन्खा, दिग्विजय सिंह, पी. विल्सन, जॉन ब्रिटास और के.टी.एस. तुलसी शामिल है।
जस्टिस यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पिछले रविवार को प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दिए गए उनके भाषण को लेकर लाया गया। महाभियोग प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि जस्टिस यादव का भाषण भड़काऊ, पूर्वाग्रही और सीधे तौर पर अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने वाला था।
जस्टिस यादव के इस कथन कि देश को बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलाया जाएगा, मुस्लिम समुदाय के खिलाफ उनकी टिप्पणियों और "कठमुल्ला" जैसे अपशब्दों के इस्तेमाल का हवाला देते हुए महाभियोग प्रस्ताव में कहा गया कि उन्होंने जज के रूप में पद की शपथ का उल्लंघन किया और संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का उल्लंघन किया। उनके इस कथन पर भी आपत्ति जताई गई कि मुस्लिम बच्चों से दयालुता की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि वे छोटी उम्र में ही जानवरों के वध के संपर्क में आ जाते हैं। प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि विभाजनकारी और पूर्वाग्रही बयान देकर जस्टिस यादव ने न्यायपालिका में जनता का विश्वास खत्म कर दिया।
राम जन्मभूमि आंदोलन के बारे में जज के बयान राजनीतिक प्रकृति के हैं। न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं। प्रस्ताव में कहा गया कि इस तरह के बयान एक तटस्थ मध्यस्थ और अधिकारों के रक्षक के रूप में न्यायपालिका की भूमिका को खतरे में डालते हैं, इससे हाथ जोड़कर अदालत का रुख करने वाले वादी में विश्वास की पूरी तरह से कमी आती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 217(1)(बी) और अनुच्छेद 218 के साथ अनुच्छेद 124(4) और 124(5) के तहत न्यायिक नैतिकता, निष्पक्षता और न्यायपालिका में जनता के विश्वास को कमजोर करने वाले कार्यों के आधार पर किसी न्यायाधीश को पद से हटाया जा सकता है।
सीजेआई संजीव खन्ना के समक्ष दायर कई शिकायतों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यादव के भाषण के संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट से रिपोर्ट मांगी।