हम्पी क्षेत्र में अवैध निर्माण: सुप्रीम कोर्ट ने   वीरुपपुरा गद्दी में निर्मित अवैध रेस्तरां, होटल और गेस्ट हाउसों को ढहाने का आदेश दिया 

Update: 2020-02-12 05:07 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कर्नाटक  सरकार को हम्पी विश्व विरासत स्थल के पश्चिम में तुंगभद्रा नदी के पास वीरुपपुरा गद्दी में निर्मित अवैध रेस्तरां, होटल और गेस्ट हाउसों को एक महीने के भीतर ढहाने का निर्देश दिया है। 

शीर्ष अदालत ने कहा कि ये निर्माण विजयनगर साम्राज्य के ऐतिहासिक स्मारकों के लिए खतरा बना हुआ है और 2009 में यूनेस्को की एक बैठक में वहां बड़े पैमाने पर अवैध निर्माणों का हवाला दिया था।

जस्टिस मोहन एम शांतनगौदर और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि 22 अक्टूबर, 1988 को जारी एक अधिसूचना द्वारा वीरुपपुरा गद्दी को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था, इस भूमि का उपयोग खेती के उद्देश्य के अलावा और नहीं किया जा सकता था।

अदालत ने कहा,

"वीरुपपुरा गद्दी एक नदी द्वीप है, यह स्पष्ट है कि हम्पी अधिनियम के तहत तैयार मास्टर प्लान 2021 के अनुसार किसी भी विकास की अनुमति नहीं है।"

शीर्ष अदालत ने 27 अप्रैल, 2015 के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ शाकुबाई और अन्य द्वारा दायर अपीलों के 

के एक समूह को खारिज कर दिया, जिसने माना था कि यह क्षेत्र विरासत क्षेत्र के 'कोर जोन' के अंतर्गत आता है और अधिकारियों को अवैध संरचनाओं को ध्वस्त करने की अनुमति दी गई। अपीलकर्ताओं ने होटल, रेस्तरां और गेस्ट हाउस चलाने के व्यावसायिक उद्देश्य के लिए अपनी जमीन पर झोपड़ियों और इमारतों का निर्माण किया था।

अदालत ने कहा,

"स्पष्ट रूप से, ये निर्माण मैसूर प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारकों व पुरातात्विक स्थलों और अवशेष अधिनियम, 1961 की धारा 20 (1) के उल्लंघन में हैं।" 

पीठ ने यह भी कहा कि स्थानीय पंचायत द्वारा जारी की गई अनुमति या लाइसेंस बिना किसी अधिकार के थे और ये पूरी तरह अवैध थे। 

अदालत ने कहा कि अदालत का वो आदेश वैध है जिसमें अधिकारियों से कहा गया है कि वो अवैध रूप से निर्मित इमारतों पर आंख नहीं मूंद सकते।

अदालत ने याचिकाकर्ताओं के उस दावे को भी खारिज कर दिया कि हम्पी विश्व विरासत क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण अधिनियम, 2002 के तहत निर्माण को ढहाने के लिए अधिसूचना केवल संभावित प्रकृति की हो सकती है।

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