ज्ञानवापी मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कल के लिए स्थगित की, वाराणसी कोर्ट को आज कोई आदेश पारित न करने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वाराणसी सिविल कोर्ट के समक्ष वादी की ओर से किए गए अनुरोध पर ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुनवाई कल के लिए स्थगित कर दी।
कोर्ट ने वाराणसी की सिविल कोर्ट को इस मामले में आज कोई आदेश नहीं देने का निर्देश दिया।
आज जब मामला लिया गया तो एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने प्रस्तुत किया कि दीवानी अदालत के समक्ष वादी का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट हरि शंकर जैन को कल ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और उन्होंने मामले पर सुनवाई कल तक के लिए स्थगित करने का अनुरोध किया।
मस्जिद कमेटी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट हुज़ेफ़ा अहमदी ने प्रस्तुत किया कि निचली अदालत आज मस्जिद के वज़ूखाना की दीवार को बदलने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, और प्रार्थना की कि अगर सुनवाई स्थगित हो रही है तो कार्यवाही रोक दी जानी चाहिए।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने जैन से कहा,
"हम इसे कल रखेंगे लेकिन आज निचली अदालत में कार्यवाही नहीं हो क्योंकि उन्हें आशंका है।"
जैन कल तक निचली अदालत के समक्ष कार्यवाही पर जोर नहीं देने पर सहमत हुए।
पीठ ने आदेश में कहा,
"हम तदनुसार निचली अदालत को यहां की व्यवस्था के अनुसार सख्ती से कार्य करने का निर्देश देते हैं और इसे कोई भी आदेश पारित करने से बचना चाहिए।"
बेंच कल मामले की सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि वाराणसी में सिविल जज सीनियर डिवीजन द्वारा उस स्थान की रक्षा के लिए पारित आदेश, जहां ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान "शिवलिंग" पाया गया, मुसलमानों के मस्जिद तक पहुंचने, नमाज अदा करने और धार्मिक अनुष्ठान करने के अधिकार को प्रतिबंधित नहीं करेगा।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने संबंधित जिला मजिस्ट्रेट को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि मस्जिद के अंदर जिस स्थान पर 'शिव लिंग' पाए जाने की सूचना है, वह सुरक्षित रहे। हालांकि पीठ ने आदेश दिया कि इससे मुसलमानों के नमाज अदा करने के अधिकार को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए । बेंच ने आदेश दिया, " जिस क्षेत्र में शिवलिंग (आदेश में दर्शाया गया) पाया गया है, उसे संरक्षित किया जाए।
उपरोक्त आदेश किसी भी तरह से नमाज़ या धार्मिक अनुष्ठानों के लिए मुसलमानों के मस्जिद में प्रवेश को प्रतिबंधित या बाधित नहीं करेगा।"
पीठ ने यह स्पष्टीकरण यह देखने के बाद पारित किया कि अदालत के आदेश से ऐसा लगा कि वादी द्वारा दायर आवेदन को अनुमति दी गई है, हालांकि अदालत के द्वारा जारी विशिष्ट निर्देश स्पॉट को सील करने और सीलबंद स्थान की रक्षा करने और लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए था। हालांकि, वादी द्वारा दायर आवेदन में कई राहत की मांग की गई थी, जैसे कि नमाज अदा करने के लिए मस्जिद में प्रवेश करने वाले मुसलमानों की संख्या को प्रतिबंधित करना। बेंच को लगा कि इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।