क्या फांसी मौत का सबसे बर्बर तरीका है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से चर्चा शुरू करने के लिए कहा
मौत की सजा के लिए फांसी की जगह किसी दूसरे विकल्प की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने का संकेत दिया है। साथ ही कोर्ट ने एनएलयू, एम्स समेत कुछ बड़े अस्पतालों से साइंटिफिक डेटा जुटाने को कहा।
केन्द्र सरकार की ओर से पेश एजी वेंकटरमनी ने कहा कि अगर कोई कमेटी बनती है तो हमें कोई आपत्ति नहीं होगी। लेकिन मुझे भी निर्देश लेने की जरूरत होगी।
याचिकाकर्ता- एडवोकेट ऋषि मल्होत्रा ने सुनवाई के दौरान कई तर्क दिए। उन्होंने कहा कि गरिमापूर्ण तरीके से मृत्यु मिलना भी मौलिक अधिकार है। जब किसी व्यक्ति को फांसी दी जाती है, तो उस मौत में गरिमा जरूरी है। एक दोषी जिसका जीवन समाप्त होना है, उसे फांसी का दर्द नहीं सहना चाहिए। दूसरे देशों में भी अब फांसी धीरे-धीरे खत्म की जा रही है। अमेरिका के 36 राज्यों ने पहले ही फांसी की सजा को खत्म कर दिया है।
आगे कहा कि फांसी में शरीर को 30 मिनट तक लटकाए रखा जाता है। इसके बाद डॉक्टर जांच करते हैं कि व्यक्ति की मृत्यु हुई है या नहीं। इसलिए फांसी अमानवीय है। इस मसले पर अक्टूबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक विस्तृत आदेश दिया था।
याचिका में फांसी को मौत का सबसे बर्बर तरीका बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि मौत की सजा के लिए फांसी नहीं कोई और तरीका अपनाया जाए। लिहाजा मौत की सजा ऐसी हो जिसमें दर्द कम हो। साथ ही मौत का डर भी न सताए, क्योंकि मौत से ज्यादा मौत का डर दुखदायी होता है।
याचिका में ये दलील भी दी गई कि फांसी की सजा में करीब 40 मिनट लगते हैं, जबकि इंजेक्शन, गोली मारने और बिजली के झटके से मारने में महज कुछ मिनट। ऐसे में मौत की सजा में ऐसे ही किसी तरीके को अपनाया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान केंद्र से फांसी को लेकर कुछ डेटा मांगा।
सीजेआई ने पूछा कि फांसी देने से कितना दर्द होता है? फांसी लगने के बाद मौत होने में कितना समय लगता है, फांसी के लिए किस तरह के संसाधनों की जरूरत होती है। क्या देश या विदेश में मौत की सजा के विकल्प का कोई डेटा है ?
कोर्ट ने मौत की सजा देने के फांसी के साइंटिफिक एंगल पर बात की।
कोर्ट ने पूछा कि क्या ये अभी भी सबसे अच्छा तरीका है? साइंस और टेक्नोलॉजी के आधार पर और क्या बेहतर मानवीय तरीके हो सकते हैं।
CJI ने कहा कि हमें ये देखना होगा कि क्या ये तरीका कसौटी पर खरा उतरता है और अगर कोई और तरीका है, जिसे अपनाया जा सकता है तो क्या फांसी से मौत को असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है।
अब अगली सुनवाई 2 मई को होगी।
केस टाइटल : ऋषि मल्होत्रा बनाम भारत संघ डब्लू.पी.(क्रिमिनल) नंबर 145/2017