"मेरी बेंच से मामला हटाने के लिए ये तरकीबें न आजमाएं, मेरी अंतरात्मा साफ है": जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकील को चेतावनी दी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने सोमवार को एक वकील द्वारा पीठ से मामले को हटाने के लिए "तरकीबें आजमाने की कोशिश" करने पर कड़ी आपत्ति जताई और उसको चेतावनी दी।
वर्तमान मामले में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ के समक्ष स्थगन की मांग करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने एक वरिष्ठ वकील के नाम का उल्लेख किया जो याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए पेश हुआ करते थे।
हालांकि यह बात न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को अच्छी नहीं लगी, जिन्होंने टिप्पणी की कि वकील ने मामले को पीठ से हटाने के लिए केवल वरिष्ठ वकील (जो न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ से संबंधित हैं) का नाम लेने का फैसला किया।
वकील की दलील पर नाराजगी जताते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि उनकी अंतरात्मा साफ है और वह इस मामले को अपनी पीठ से नहीं हटाएंगे।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की,
"वैसे भी वरिष्ठ वकील अभी पेश नहीं हो रहे हैं? फिर आप मेरी पीठ से मामले को हटाने के लिए उनके नाम का उल्लेख क्यों कर रहे हैं! मैं इस मामले को अपनी पीठ से नहीं हटा रहा हूं। आप इस मामले पर बहस कर सकते हैं। इन तरह की तरकीबें न आजमाएं। मेरी अंतरात्मा साफ है। मैं मामले की सुनवाई करूंगा।"
सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया ने अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता ने स्थगन की मांग करते हुए एक पत्र प्रसारित किया है और जिसका प्रतिवादी विरोध कर रहा है क्योंकि याचिकाकर्ता पिछली दो सुनवाई के बाद से पत्र प्रसारित कर रहा है।
उन्होंने प्रस्तुत किया कि प्रतिवादी के खिलाफ एक पक्षीय अंतरिम आदेश है और 2000 में उनके पक्ष में एक डिक्री है।
खंडपीठ ने कहा कि प्रतिवादी के जवाबी हलफनामे के अनुसार याचिकाकर्ता ने निष्पादन अदालत के समक्ष वर्तमान विशेष अनुमति याचिका में उठाई गई आपत्तियां उठाई थीं, जिसे खारिज कर दिया गया था और इसलिए इसे अंतिम रूप दिया गया था। हालांकि, इस जानकारी को सुप्रीम कोर्ट ने दबा दिया।
हंसारिया ने कहा,
"यह तुच्छ मुकदमेबाजी का मामला है जिसे अनुकरणीय जुर्माने के साथ खारिज कर दिया जाना चाहिए। मैं 91 साल का हूं और 30 साल से मुकदमा लड़ रहा हूं और वे स्थगन पत्र प्रसारित कर रहे हैं।"
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने प्रस्तुत किया कि स्थगन की मांग की जा रही है क्योंकि पिछले सुनवाई में याचिकाकर्ता ने 4 सप्ताह के समय के लिए अनुरोध किया था, लेकिन मामले को 2 सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया गया।
पीठ ने तब याचिकाकर्ता से जवाब मांगा कि याचिकाकर्ता ने वर्तमान विशेष अनुमति याचिका में वही आपत्तियां क्यों उठाई हैं, जिन्हें निष्पादन न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है।
याचिकाकर्ता के वकील ने इस संबंध में निर्देश लेने के लिए समय मांगा, जिसे बेंच ने अनुमति दी।