AGR का बकाया ना चुकाने पर नाराज सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया, 17 मार्च को MD को पेश होने को कहा
समायोजित सकल राजस्व (AGR) मामले में टेलीकॉम कंपनियों की सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका पर कड़ी नाराज़गी जाहिर करते हुए टेलीकॉम कंपनियों के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों ना उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज समेत डिफॉल्ट करने वाली सभी टेलीकॉम कंपनियों के प्रंबंध निदेशकों को 17 मार्च को अदालत में पेश होने के आदेश दिए हैं।
न्यायालय ने दूरसंचार विभाग के अधिकारी के खिलाफ अवमानना नोटिस भी जारी किया है, जिसने कथित तौर पर एजीआर बकाया की वसूली के लिए अधिसूचना जारी की है।
"एक डेस्क अधिकारी, सुप्रीम कोर्ट आदेश पर रोक लगा रहा है!" न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने गुस्से में कहा जो भुगतान में डिफ़ॉल्ट रूप से नाखुश थे।
"इस देश में क्या हो रहा है? इन सभी कंपनियों ने एक पैसा भी नहीं दिया है और आपके अधिकारी के पास आदेश पर रोक लगाने का दुस्साहस है? क्या सुप्रीम कोर्ट का कोई मूल्य नहीं है? यह पैसे की शक्ति का परिणाम है।" जस्टिस मिश्रा ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा।
शुक्रवार को न्यायालय दूरसंचार कंपनियों द्वारा दायर किए गए आवेदनों पर सुनवाई कर रहा था, दूरसंचार विभाग को 1.47 लाख करोड़ रुपये के वैधानिक बकाये के भुगतान के लिए केंद्र से नया शेड्यूल मांगा गया था।
लेकिन जस्टिस मिश्रा ने भुगतान के लिए अधिक समय मांगने वाले आवेदनों पर अपनी नाराज़गी नहीं छिपाई।
"ये आवेदन कौन दाखिल कर रहा है? आपने इस प्रणाली से क्या बनाया है? यह कैसे किया जा सकता है?", न्यायमूर्ति मिश्रा ने पूछा।
जस्टिस मिश्रा ने भी DoT अधिकारी को जमकर लताड़ा। " उस डेस्क अधिकारी को यहाँ बुलाओ! क्या उसके खिलाफ कोई कार्रवाई की है? क्या आप चाहते हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट को बंद कर दें? यह कौन कर रहा है? हम सभी के खिलाफ अवमानना करेंगे! " न्यायमूर्ति मिश्रा ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा।
दरअसल टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका
दाखिल की है। याचिका में कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से अपने उस आदेश में संशोधन करने की गुहार लगाई है जिसमें उन्हें केंद्र को 23 जनवरी तक पूरी राशि चुकाने के निर्देश दिए गए थे।
अपनी याचिका में कंपनियों ने अदालत से अनुरोध किया है कि वो अपने पुराने आदेश में संशोधन करे और टेलीकॉम कंपनियों को ये राहत दे कि वो केंद्र सरकार के सम़क्ष भुगतान के लिए शेड्यूल तैयार कर सके।
दरअसल 6 जनवरी को टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका लगा था। सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट के फैसले के मुताबिक 23 जनवरी तक टेलीकॉम कंपनियों को बकाया चुकाना है।
दरअसल 22 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों भारती एयरटेल, वोडा- आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया कि पीठ 24 अक्तूबर के उस फैसले पर फिर से विचार करे जिसमें गैर दूरसंचार आय को भी AGR में शामिल किया गया है।
तीनों कंपनियों ने अलग- अलग दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट से जुर्माने और ब्याज के साथ-साथ जुर्माने पर लगाए गए ब्याज को भी माफ करने की गुहार लगाई थी।
याचिका मे्ं DoT द्वारा लगाए गए जुर्माने की राशि को भी चुनौती दी गई थी।
गौरतलब है कि 24 अक्तूबर को दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से उस समय एक तगड़ा झटका लगा था जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका को मंज़ूर करते हुए केंद्र को टेलीकॉम कंपनियों से लगभग 92,000 करोड़ रुपये का समायोजित सकल राजस्व (AGR)वसूलने की अनुमति दे दी।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा गठित समायोजित सकल राजस्व की परिभाषा को बरकरार रखा था। बेंच ने कहा, "हमने माना है कि एजीआर की परिभाषा प्रबल होगी," बेंच में जस्टिस एस ए नज़ीर और एम आर शाह भी शामिल थे।
शीर्ष अदालत ने फैसले के ऑपरेटिव हिस्से को पढ़ते हुए कहा,
"हमने दूरसंचार विभाग की अपील को अनुमति दी है और लाइसेंसधारियों (टेलीकॉम) की अपील को बर्खास्त कर दिया है।" शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने दूरसंचार कंपनियों के अन्य सभी सबमिशन को खारिज कर दिया है। इसमें कहा गया है कि सेवा प्रदाताओं को DoT को जुर्माना और ब्याज का भुगतान करना होगा। पीठ ने यह स्पष्ट किया कि इस मुद्दे पर कोई और मुकदमा नहीं होगा। दूरसंचार कंपनियों द्वारा बकाया राशि की गणना और भुगतान के लिए तीन महीने दिए गए।
केंद्र ने बताया था किस पर कितना बकाया जुलाई में केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि भारती एयरटेल, वोडाफोन और राज्य के स्वामित्व वाली एमटीएनएल और बीएसएनएल जैसी प्रमुख निजी दूरसंचार फर्मों के ऊपर अब तक 92,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाइसेंस शुल्क बकाया है।
शीर्ष अदालत में दायर एक हलफनामे में, DoT ने कहा कि गणना के अनुसार, Airtel को सरकार को लाइसेंस शुल्क के रूप में 21,682.13 करोड़ रुपये चुकाने हैं। DoT ने कहा कि वोडाफोन पर 19,823.71 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि रिलायंस कम्युनिकेशंस का कुल 16,456.47 करोड़ रुपये बकाया है। बीएसएनएल का 2,098.72 करोड़ रुपये बकाया है, जबकि MTNL का 2,537.48 करोड़ रुपये बकाया है।