क्या मजिस्ट्रेट के पास जांच टीम में बदलाव करने के अधिकार हैं? सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

Update: 2019-10-28 10:43 GMT

क्या दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास जांच टीम में बदलाव करने के आदेश देने का अधिकार क्षेत्र है? सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर दायर एक विशेष अवकाश याचिका पर सुनवाई करेगा।

यह था मामला

एक व्यक्ति ने यह प्रार्थना करते हुए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि डूंगरा पुलिस स्टेशन द्वारा वर्तमान में एक अपराध की जांच को सीआईडी क्राइम या किसी ऐसे अधिकारी को स्थानांतरित कर दी जाए जो पुलिस कमिशनर से नीचे की रैंक का न हो। 

उक्त याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि पीड़ित व्यक्ति आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा -156 (3) के तहत संबंधित मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सकता है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि मजिस्ट्रेट संबंधित अधिकार को प्रत्यक्ष जांच करने की शक्ति देता है, जिसमें विवेचना में जांच अधिकारी को बदलने की सिफारिश शामिल है, ताकि मामले में उचित जांच हो।

इस आदेश को मानते हुए, याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय [अशोक देवेंद्र गोयल बनाम गुजरात राज्य] का रुख किया। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील गौरव अग्रवाल ने पीठ के समक्ष दलील दी कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत कार्य करने वाले मजिस्ट्रेट के पास राज्य पुलिस से सीआईडी तक जांच टीम में बदलाव के आदेश देने का अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने इस एसएलपी में नोटिस जारी किया है। 

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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