अयोध्या सुनवाई का 31वां दिन : सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा, राम चबूतरे को भगवान राम का जन्मस्थान नहीं मानते

Update: 2019-09-25 16:46 GMT

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अयोध्या विवाद की 31वें दिन की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड ने स्पष्ट किया कि वह राम चबूतरे को भगवान राम का जन्मस्थान नहीं मानता। बोर्ड की ओर से जफरयाब जिलानी ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ के समक्ष स्पष्टीकरण दिया कि बोर्ड अभी तक यह नहीं मानता कि राम चबूतरा ही वह जगह है जहां राम का जन्म हुआ था, जैसा कि मीडिया के कुछ हिस्से में खबरें प्रकाशित एवं प्रसारित हुई हैं।

बोर्ड ने कहा, यह हिन्दुओं की मान्यता थी, उनकी नहीं

उन्होंने स्पष्ट किया कि फैजाबाद जिला जज ने कहा था कि 'राम चबूतरा ही राम का जन्मस्थान था',जिसे बोर्ड ने चुनौती नहीं दी थी, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया था। उन्होंने कहा कि यह हिन्दुओं की मान्यता थी, उनकी नहीं। जिलानी ने यह स्पष्टीकरण मीडिया के कुछ हिस्सों में प्रकाशित उस रिपोर्ट को लेकर दी जिसमें कहा गया था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी मान लिया है कि राम चबूतरा ही राम का जन्मस्थान था।

जिलानी ने अपनी जिरह आगे बढ़ाते हुए वाल्टर हेमिल्टन की गजेटियर के अंश पढ़े, जिसका उल्लेख हिन्दू पक्षों ने किया था और यह स्थापित करने का प्रयास किया कि इससे यह स्थापित नहीं होता है कि हिन्दू बीच वाले गुम्बज के भीतर पूजा अर्चना करते थे। इसमें केवल इस बात का उल्लेख है कि औरंगजेब ने मंदिर को ढहाया था और उनके अवशेषों पर एक ढांचा खड़ा किया गया था।

अन्य रिपोर्टों का हवाला देते हुए जिलानी ने दलील दी कि इस बात को लेकर भ्रांतियां हैं कि राम का जन्मस्थान कहां था। इसके लिए उन्होंने 1862 की एक रिपोर्ट का ज़िक्र किया जिसमें कहा गया है कि मंदिर कहीं और स्थित था। रिपोर्ट के मुताबिक रामकोट किले में एक जगह है, जिसे भगवान राम का जन्मस्थान कहा गया है। उसके बाद उन्होंने चीनी यात्री ह्वेनसांग के वृत्तांत का उल्लेख किया है, जिसमें अयोध्या में स्तूपों का वर्णन है।

उन्होंने कहा कि आयने-अकबरी में इनमें से दो स्तूपों पर दो पैगम्बरों के नाम पाये गये हैं। एक अन्य दस्तावेज का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज में दावा किया गया है कि बीच वाले गुम्बज से 60 फीट की दूरी पर स्थित राम चबूतरा राम का जन्मस्थान था। इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि कल जिलानी की स्वीकारोक्ति की लाइन यही थी, इस पर जिलानी ने कहा, "यह उनका मानना है, हमारा नहीं।"

इसके बाद न्यायमूर्ति भूषण ने ब्रिटिश सरकार द्वारा उस स्थान को भीतरी और बाहरी कोटयार्ड में बांटने से संबंधित मौखिक साक्ष्य के बारे में पूछा, जिस पर उन्होंने कहा कि 100 पन्नों से एक या दो पंक्तियां को अलग करके नहीं पढ़ा जाना चाहिए। जज साहब को दस्तावेजों को समग्रता में पढ़ना चाहिए।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सभी गज़ेटियर में है कि चबूतरा ही भगवान राम का जन्मस्थान है। उन्होंने कहा कि कार्नेजी और अन्य दो दस्तावेज यह बताते हैं कि 1855 या 1857 के सिपाही विद्रोह से पहले हिन्दू और मुस्लिम मस्जिद में एक साथ प्रार्थना करते थे। यह विभाजन 1857 के बाद हुआ था।

जिलानी ने अपनी दलील यह कहते हुए पूरी की कि हिन्दुओं ने 1865 के बाद बाहरी कोटयार्ड में पूजा करनी शुरू की थी, जबकि केवल सिख ही अंदरुनी कोटयार्ड में पूजा का अधिकार चाहते थे। जिलानी के बाद सुश्री मीनाक्षी अरोड़ा ने मुस्लिम पक्षकार की ओर से दलीलें पेश की और उन्होंने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट पर मुस्लिम पक्ष की आपत्तियां दर्ज करायीं।

अरोड़ा ने हिंदू पक्ष के द्वारा जन्मस्थान को लेकर पुरातात्विक सबूतों को नकारते हुए कहा कि पुरातत्व विज्ञान, भौतिकी और रसायन की तरह विज्ञान नहीं है। यह एक सामाजिक विज्ञान है और इसपर भरोसा नहीं किया जा सकता।

पीठ ने कहा, "एएसआई की रिपोर्ट को लेकर जो आपत्ति आप यहां उठा रही हैं, आपने ट्रायल के दौरान ये बातें कही नहीं।"

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, "इस मुद्दे पर मुस्किल पक्षकार की दलीलें भी जोरदार और ठोस नहीं हैं, क्योंकि न्यायालय ऐसे मुद्दे पर जब विशेषज्ञों की कोई समिति बनाती है तो उसमें कोई भी कमी या गलती हो तो या तो अदालत उस बारे में बताये या फिर पक्षकार बतायें। तभी विशेषज्ञ उसका जवाब दे सकते थे।"

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "रिपोर्ट पर किसी का नाम लिखा गया या नहीं समरी पर किसी के हस्ताक्षर किए गए या नहीं, ये बातें हाईकोर्ट में उठाई जानी चाहिए थी, अब क्यों इस बात को उठाया जा रहा है? अरोड़ा ने कहा, "हमने तब सवाल उठाया था लेकिन कोर्ट ने कहा इस पर बाद में देखेंगे।"

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, "पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की रिपोर्ट कोर्ट कमिश्नर के तौर पर प्रक्रिया के अनुरूप थी, इस पर आपकी कोई आपत्तियां जायज नहीं हैं, क्योंकि पहली अपील में आपने आपत्ति नहीं जताई।" अरोड़ा ने कहा कि वह इस पर गुरुवार को जवाब देंगी। कल भी सुनवाई जारी रहेगी। 

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