PM CARES Fund पर जानकारी देने से इनकार करने को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से जवाब मांगा

Update: 2020-06-10 14:01 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी, प्रधानमंत्री कार्यालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है।

इस याचिका में केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ), प्रधानमंत्री कार्यालय के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें PM CARES Fund से संबंधित दस्तावेजों की मांग करने वाले आरटीआई आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया था।

जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने सॉलिसिटर जनरल से याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है।

याचिकाकर्ता ने प्रधानमंत्री कार्यालय के सीपीआईओ से जवाब मांगा, जिन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में परिभाषित के रूप में उक्त निधि 'लोक प्राधिकरण' नहीं होने का हवाला देते हुए PM CARES Fund पर जानकारी देने से इनकार कर दिया था।

श्री सम्यक गंगवाल द्वारा दायर याचिका में सीपीआईओ के दिनांक 02/06/20 के फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी को इस आधार पर देने से इनकार कर दिया गया था कि PM CARES Fund आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है।

दिनांक 01/05/20 को एक आरटीआई आवेदन द्वारा, याचिकाकर्ता ने उक्त सीपीआईओ से निम्नलिखित जानकारी मांगी थी:

1 PM CARES Fund के ट्रस्ट डीड की एक प्रति

2 दस्तावेज़ / पत्र / कार्यालय ज्ञापन की एक प्रति जिसके तहत उक्त कोष का गठन किया गया था।

3 संपूर्ण फ़ाइल की एक प्रति जहां PM CARES Fund का गठन करने का निर्णय लिया गया था।

याचिकाकर्ता का प्राथमिक तर्क यह है कि PM CARES Fund को आरटीआई अधिनियम की धारा 2 (एच) के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि,

1 यह एक उपयुक्त सरकार के आदेश द्वारा गठित / स्थापित किया गया है क्योंकि इसे पीएमओ की प्रेस विज्ञप्ति द्वारा बनाया गया है।

2 यह आयकर अधिनियम और कंपनी अधिनियम के तहत विभिन्न लाभ प्राप्त करता है।

3 PM CARES Fund सरकार द्वारा स्वामित्व या नियंत्रित एक निकाय है क्योंकि इसके ट्रस्टियों में PM, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री और गृहमंत्री शामिल हैं।

अदालत ने पीएमओ के साथ-साथ पीएमओ के सीपीआईओ को वर्तमान याचिका में उठाए गए सवालों पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

इसके बाद इस मामले को 28 अगस्त को उठाया जाएगा। वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व एडवोकेट देबप्रियो मुलिक और आयुष श्रीवास्तव ने किया।

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