चोरी की घटना के बारे में बीमा कंपनी को सूचित करने में देरी दावे से इनकार करने का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2021-09-20 02:54 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चोरी की घटना के बारे में बीमा कंपनी को सूचित करने में केवल देरी बीमा दावे को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता है।

इस मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने वाहन चोरी होने पर मुआवजे के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि चोरी की सूचना बीमा कंपनी को देने में 78 दिन की देरी हुई है।

शिकायतकर्ता ने महिंद्रा एंड महिंद्रा मेजर जीप खरीदी थी, जो एक शराब की दुकान के कार्यालय के बाहर चोरी हो गई, जिसमें वह एक भागीदार था। युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ वाहन का बीमा किया गया था।

शिकायतकर्ता के अनुसार, उसने फोन पर वाहन की चोरी के बारे में बीमा कंपनी को सूचित किया, लेकिन लिखित शिकायत बाद में की गई थी।

जिला उपभोक्ता निवारण फोरम द्वारा शिकायत की अनुमति दी गई थी और शिकायतकर्ता को 12% ब्याज के साथ 3,40,000 रूपये का बीमा राशि का भुगतान करने के लिए अवार्ड पारित किया गया।

उक्त आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी द्वारा दायर अपील को राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने खारिज कर दिया था।

शीर्ष अदालत के समक्ष अपीलकर्ता-शिकायतकर्ता ने गुरशिंदर सिंह बनाम श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एंड अन्य (2020) 11 एससीसी 612 मामले में फैसले पर भरोसा किया, जिसमें निम्नलिखित अवलोकन किए गए थे:

"जब एक बीमाधारक ने वाहन की चोरी के तुरंत बाद प्राथमिकी दर्ज की है और वाहन का पता नहीं चलने के बाद पुलिस ने जांच के बाद एक अंतिम रिपोर्ट दर्ज किया है और जब बीमा कंपनी द्वारा नियुक्त सर्वेक्षकों/जांचकर्ताओं ने चोरी के दावे को वास्तविक पाया है तो चोरी की घटना के बारे में बीमा कंपनी को सूचित करने में केवल देरी बीमाधारक के दावे से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है।"

दूसरी ओर, बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि प्राथमिकी दर्ज करने में देरी अपीलकर्ता के दावे की जांच में एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि स्वयं अपीलकर्ता के अनुसार, घटना के 7 दिनों के बाद रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसलिए, शिकायतकर्ता द्वारा दायर किए गए दावे को एनसीडीआरसी द्वारा खारिज कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि बीमा कंपनी का मामला बीमा कंपनी को सूचना देने में देरी पर आधारित है। इसलिए, इस तर्क के संबंध में कि प्राथमिकी में देरी हुई, इस मामले में उक्त तर्कों की जांच की आवश्यकता नहीं है। अदालत ने अपील की अनुमति दिया और जिला फोरम द्वारा पारित आदेश को बहाल किया।

Citation: LL 2021 SC 477

केस का नाम: धर्मेंद्र बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

केस नं. दिनांक: CA 5705 of 2021 | 13 सितंबर 2021

कोरम: जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम

अधिवक्ता: अधिवक्ता अरुणाभ चौधरी, अधिवक्ता वैभव तोमर, अपीलकर्ता के लिए एओआर राहुल प्रताप, प्रतिवादी के लिए एओआर राजेश कुमार गुप्ता

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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