COVID-19 : UK में फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा

Update: 2020-04-07 12:51 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को COVID-19 महामारी के मद्देनज़र लॉकडाउन और यात्रा में व्यवधान के कारण यूनाइटेड किंगडम में फंसे भारतीय छात्रों की तत्काल निकासी के संबंध में याचिका पर केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की एक पीठ ने नोटिस जारी किया और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से तत्काल निर्देश लेने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व वकील सुनील फर्नांडिस ने किया था। मामले को 13 अप्रैल को सूचीबद्ध किया गया है।

वकील मधुरिमा मृदुल द्वारा दायर याचिका में यूनाइटेड किंगडम में बिगड़ती स्थिति और सभी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के निलंबन को ध्यान में रखा गया है।

इसमें कहा गया है कि "ब्रिटेन में भारतीय छात्रों के पास भारत में अपने परिवारों से दूर रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। जबकि ब्रिटेन सरकार अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मदद कर रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि उन्हें विश्वविद्यालय में रहने से बेदखल न किया जाए।

निजी अपार्टमेंट में रहने वाले किराए का भुगतान करने में सक्षम नहीं हो रहे हैं या बुनियादी जीविका का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं हैं।

याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार ने भारत के किसी भी विदेशी हवाई अड्डे से 14.04.2020 तक सभी अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक यात्री विमानों पर 22.03.2020 से यात्रा प्रतिबंध लगा दिया है जिसके कारण टिकट बुक करने वाले कई भारतीय छात्र फंस गए हैं और भारत यात्रा करने में असमर्थ हैं।

इसके अतिरिक्त, याचिका में कहा गया है कि भारत शायद एकमात्र देश है जिसने अपने नागरिकों की वापसी पर एक प्रतिबंध लगाया है, और जहां अन्य देश विभिन्न देशों में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए सभी संभव प्रयास कर रहे हैं, भारत ने प्रतिबंध लगाकर अपने स्वयं के नागरिकों के लिए घर वापस आना असंभव बना दिया है।

आगे यह कहा गया है कि भारतीय नागरिकों को देश में वापस आने से रोकने का आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है; जो छात्र विदेश से लौटते हैं, उन्हें अलग किया जा सकता है और उन्हें प्रासंगिक चिकित्सा प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है।

याचिका में कहा गया है कि छात्रों को साझा रसोई और बाथरूम सुविधाओं वाले छात्रावासों में रखा गया है जिससे वो कोरोना का चपेट में आ सकते हैं।

उनके पास रुपये भी नहीं हैं और बुनियादी आवश्यकताओं के बिना रहते हुए भोजन और पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। साथ ही वे किसी भी मास्क, दस्ताने या सैनिटाइज़र का उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं।

याचिका में यह भी कहा गया है कि ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग से संपर्क करने के लिए इन छात्रों द्वारा प्रयास किए गए हैं, लेकिन उन्हें निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है और उन्हें केवल राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ( NHS ) और इंग्लैंड के सार्वजनिक स्वास्थ्य के दिशानिर्देश का पालन करने की सलाह जारी की गई है।

याचिका में एयर इंडिया द्वारा चार्टर (वाणिज्यिक) उड़ानों के रूप में 4 से 7 अप्रैल, 2020 के बीच प्रस्तावित उड़ानों के कार्यक्रम का हवाला भी दिया गया है।

कहा गया है कि ब्रिटेन और जर्मनी की सरकारों ने भारत में फंसे अपने नागरिकों की वापसी की सुविधा के लिए भारत सरकार से भी संपर्क किया है। इसलिए, भारत सरकार द्वारा भी इसी तरह की निकासी की जा सकती है, और जब तक उक्त निकासी नहीं होती है, तब तक यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भारतीय छात्रों की जरूरतों को पूरा किया जाए।

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