COVID- 19 : फर्जी बाबाओं के आश्रमों को बंद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Update: 2020-04-01 02:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है जिसमें फर्जी 'बाबाओं' द्वारा चलाए जा रहे 'आश्रमों' और आध्यात्मिक केंद्रों को बंद करने के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इन आश्रमों में सैकड़ों महिलाओं  को अस्वच्छ परिस्थितियों में रखा गया है, जिससे COVID- 19 फैलने का भारी खतरा है।

सिकंदराबाद निवासी याचिकाकर्ता डम्पला रामरेड्डी ने भी देश में आध्यात्मिक संस्थाओं 'आश्रमों' की स्थापना के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की मांग भी की है।

वकील श्रवण कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि सरकारी अधिकारी 'फर्जी बाबाओं' के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रहे जो आश्रम चला रहे हैं और विशेषकर महिलाओं को फंसा रहे हैं। 

उन्होंने कहा है कि हजारों महिलाओं को आश्रमों में रहने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें ड्रग्स और नशीले पदार्थ दिए गए।

दलीलों में कहा गया,

"हालांकि वीरेंद्र देव दीक्षित, आसाराम बापू, राम रहीम बाबा  आदि के खिलाफ बहुत गंभीर आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं..., लेकिन उनके आश्रम अभी भी उनके करीबी सहयोगियों की मदद से चलाए जा रहे हैं और अधिकारी वहां उपलब्ध सुविधाओं का सत्यापन नहीं कर रहे हैं।"

याचिकाकर्ता ने बलात्कार के आरोपी दीक्षित के दिल्ली स्थित रोहिणी आश्रम आध्यात्म विश्व विद्यालय में भी हंगामा किया था जहां उनकी बेटी पिछले पांच साल से रह रही थी।वहां कई लड़कियों की शिकायतों के बाद अदालत द्वारा नियुक्त पैनल ने छापा मारा था।

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि देश और राष्ट्रीय राजधानी में 17  आश्रमों में सैकड़ों / हजारों शिष्य रहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी बेटी बाबाओं द्वारा फंसाए गए लोगों में से एक है।

इस बाबा (वीरेंद्र देव दीक्षित) के खिलाफ विभिन्न राज्यों में कई आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन, अधिकारियों द्वारा आश्रमों को बंद नहीं किया गया है और साथ ही ऐसे बाबाओं / आश्रमों को पैसे का स्रोत सरकार द्वारा पता लगाया नहीं लगाया गया है।

Tags:    

Similar News