लगातार हड़ताल और अदालतों में काम रोकने पर उड़ीसा हाईकोर्ट ने राज्य के सभी बार एसोसिएशनों को अवमानना का नोटिस जारी किया
उड़ीसा हाईकोर्ट ने उड़ीसा राज्य, उड़ीसा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, विभिन्न बार एसोसिएशन, उड़ीसा बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को अदालतों में हड़ताल करने के लिए अवमानना के नोटिस जारी किए हैं। अब इस मामले में आगे की सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी।
उड़ीसा हाईकोर्ट की फुल कोर्ट ने हाईकोर्ट सहित राज्य के कुछ हिस्सों में बार सदस्यों द्वारा लगातार हड़ताल करने और अदालतों के काम को रोकने के मामले में स्वत संज्ञान लिया है। इन सभी जगहों पर एसोसिएशनों ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हालिया प्रस्ताव और उड़ीसा हाईकोर्ट कॉलेजियम के सांकेतिक विरोध के रूप में काम से दूर रहने का फैसला किया था।
अवमानना नोटिस इस प्रकार है-
''हाईकोर्ट सहित राज्य के कुछ हिस्सों में बार सदस्यों द्वारा अदालतों में काम न करना और लगातार हड़ताल करने के मद्देनजर, जिससे न्याय प्रशासन में बाधा आ रही है और इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए विभिन्न फैसलों को देखते हुए, इस मामले पर न्यायिक पक्ष द्वारा विचार करने की आवश्यकता है। "
बार एसोसिएशन ने एक दिन पहले आयोजित की गई एसोसिएशन की जनरल बॉडी मीटिंग के बाद हड़ताल करने का फैसला किया था, जिसमें सदस्यों ने सर्वसम्मति से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के हालिया प्रस्ताव व उड़ीसा हाई कोर्ट कॉलेजियम के रवैये की 'निंदा' की थी। साथ ही संकल्प लिया था कि -
"उड़ीसा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सभी सदस्य 14.10.2019 को दोपहर दो बजे (दोपहर के भोजन के बाद) के बाद कोर्ट के कामकाज को रोक देंगे या कोर्ट में पेश नहीं होंगे ताकि वह माननीय सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के साथ-साथ उड़ीसा हाईकोर्ट के काॅलेजियम के फैसले के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन दिखा सकें।''
सदस्यों ने 'ऑल ओडिशा स्ट्राइक यानि पूरे उड़ीसा में हड़ताल'में जाने का भी संकल्प लिया था। पूरे उड़ीसा में हड़ताल कब से शुरू होगी इसका निर्णय कार्यसमिति या एक्शन कमेटी द्वारा अगली आम सभा की बैठक या जनरल बॉडी मीटिंग में किया जाएगा, जो 16 अक्टूबर को होने वाली है।
कोर्ट ने उड़ीसा राज्य सरकार, उड़ीसा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, विभिन्न जिला बार एसोसिएशन, उड़ीसा बार काउंसिल और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है और मामले में आगे की सुनवाई करने के लिए 21 अक्टूबर की तारीख तय की है।
अदालत ने अवमानना करने वालों या कंटेमनर्स से यह भी पूछा है कि पूर्व-कैप्टन हरीश उप्पल बनाम भारत संघ और अन्य (2003) 2 एससीसी 45 मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के मामले में क्यों न उनके खिलाफ कदम उठाए जाएं या कार्रवाई की जाए ?
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा हाल ही में की गई एक बैठक में सदस्यों ने संकल्प लिया था या राय बनाई थी कि-
1. न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने और एनजेएसी की शुरूआत की मांग की जाए।
2. कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू करने के लिए 15 अक्टूबर तक एक 'एक्शन कमेटी' की स्थापना करें।
3. राज्य स्तर के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जाए ताकि उनकी शिकायत दर्ज की जा सकें या उसे अभिव्यक्त किया जा सकें और एनजेएसी को लागू करने की उनकी मांग को भी उठाया जाए तथा
4. पीएम और केंद्रीय कानून मंत्री के पास एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल भेजकर उन्हें स्थिति से अवगत कराया जाए और मामले में उनके हस्तक्षेप की मांग की जाए।