सीजेआई रमाना ने लुधियाना कोर्ट ब्लास्ट पर दुख जताया; कोर्ट परिसरों में सुरक्षा की कमी पर चिंता जताई
चीफ जस्टिस एन.वी. रमाना ने लुधियाना जिला न्यायालय परिसर में हुई विस्फोट की घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया।
सीजेआई रमाना ने कोर्ट परिसरों में पर्याप्त सुरक्षा की कमी पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त की कि कानून लागू करने वाली एजेंसियां अदालत परिसरों और सभी हितधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक ध्यान देंगी।
आगे कहा कि देश भर में इस तरह की घटनाएं तेजी से हो रही हैं जो एक चिंताजनक प्रवृत्ति है।
सीजेआई रमाना ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रविशंकर झा को फोन किया और घटनाक्रम की जानकारी ली।
न्यायमूर्ति रमाना ने भी मृतक के परिवार के शोक संतप्त सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
यह धमाका कथित तौर पर दोपहर करीब 12:22 बजे कोर्ट परिसर की दूसरी मंजिल के एक बाथरूम में हुआ। धमाका इतना जोरदार था कि इससे बाथरूम की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गईं और बगल के कमरों की खिड़कियों के शीशे भी टूट गए। विस्फोट के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है।
जब विस्फोट हुआ तब जिला अदालत में भीड़ थी और कामकाज चल रहा था।
पुलिस ने विस्फोट में एक की मौत की पुष्टि की है। हालांकि शुरुआत में दो लोगों की मौत की सूचना मिली थी।
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नौ दिसंबर को नई दिल्ली के रोहिणी में अदालत परिसर में एक मामूली विस्फोट हुआ था।
कुछ दिनों पहले, दिल्ली पुलिस ने DRDO वैज्ञानिक भारत भूषण पर आरोप लगाया कि उसने अपने पूर्व पड़ोसी को मारने के लिए अदालत कक्ष में एक लैपटॉप बैग में विस्फोटक रखा था।
गौरतलब है कि रोहिणी के इसी कोर्ट परिसर में सितंबर में गैंगवार के तहत भीषण गोलीबारी हुई थी। इसमें चार गैंगस्टर मारे गए थे। इस घटना ने अदालत में सुरक्षा चूक को उजागर किया था। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने झारखंड के धनबाद में जिला न्यायाधीश की हत्या के मद्देनजर न्यायाधीशों और अदालतों की सुरक्षा के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था।
सीजेआई ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए अदालतों के लिए आरपीएफ, सीआईएसएफ आदि की तर्ज पर एक विशेष पुलिस फोर्स का आह्वान किया था। केंद्र सरकार ने यह कहते हुए जवाब दिया कि अदालतों के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का स्पेशल फोर्स संभव नहीं हो सकता है क्योंकि राज्य पुलिस न्यायाधीशों और अदालतों की सुरक्षा से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में होगी क्योंकि खतरे राज्य-विशेष होते हैं।