MP हाईकोर्ट जज पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर इस्तीफा देने वाली ADJ की बहाली पर CJI ने ' शांतिपूर्वक नतीजे' का संकेत दिया 

Update: 2020-02-12 10:25 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्य प्रदेश में एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की बहाली की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की, जिन्हें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस के गंगेले ( अब सेवानिवृत्त )पर यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद इस्तीफा देना पड़ा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने पीठ की अध्यक्षता करते हुए पूर्व एडीजे की वकील वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह से पूछा कि क्या वो किसी अन्य राज्य में काम करने को तैयार हैं, यदि उन्हें फिर से पद दिया जाए।

जयसिंह ने जवाब दिया कि वह देश के उत्तरी भाग में किसी भी राज्य को पसंद करेंगी जयसिंह ने यह भी कहा कि पूर्व न्यायाधीश का कार्य त्रुटिहीन था; उन्हें जिला विशाखा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, और 2011 और 2013 के बीच उनके काम की एक वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) ने उनके प्रदर्शन को "उत्कृष्ट " बताया था।

जयसिंह ने पीठ को सूचित किया कि यौन उत्पीड़न की शिकायत करने की वजह से 

पूर्व एडीजे का 2014 में ग्वालियर से सिंधी स्थानांतरण किया गया था। हालांकि, उनकी बेटी की बोर्ड परीक्षाओं के कारण, वह स्थानांतरण पर नहीं जा पाईं और इस्तीफा देने के लिए मजबूर हो गईं। उन्होंने ग्वालियर में आठ महीने तक रहने के लिए विस्तार करने के लिए अभ्यावेदन किया था, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया था।

इसके बाद, 2015 में, राज्य सभा द्वारा गठित एक 3-सदस्यीय समिति जिसमें सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर बानुमति , न्यायमूर्ति मंजुला चेल्लूर (पूर्व मुख्य न्यायाधीश बॉम्बे हाईकोर्ट ) और वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल ने माना था कि ये स्थानांतरण गैरकानूनी था। रिपोर्ट ने न्यायाधीश के स्थानांतरण करने में "मानवीय चेहरे की कमी" बताकर आलोचना की और कहा था कि यह एक प्रशासनिक की बजाय अनुचित दंडात्मक कार्रवाई थी।

जयसिंह ने न्यायालय को यह भी बताया कि पूर्व न्यायाधीश पिछले कुछ वर्षों के पारिश्रमिक को वापस लेने के लिए तैयार हैं लेकिन उन्होंने अपनी वरिष्ठता बरकरार रखने की इच्छा जताई है। जज ने कहा है कि जज के पेशे को आगे बढ़ाना और ''उसी जिंदगी के साथ आगे बढ़ना '' जज का मकसद है।

 CJI ने इस पर सहमति व्यक्त की और कहा "मुझे आपकी और आपके दृष्टिकोण की प्रशंसा करनी चाहिए। ऐसी स्थितियों में सही रवैया है। इन सबमें क्यों पड़ें?" 

मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि विवाद को अब "शांतिपूर्ण निष्कर्ष" पर लाया जा सकता है क्योंकि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में अब एक नए मुख्य न्यायाधीश हैं। 

 हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के लिए पेश वरिष्ठ वकील आर श्रीवास्तव ने कहा कि इस बहाली के कुछ परिणाम हो सकते हैं।

CJI ने वकील से इस पर विचार करने के लिए कहा और कहा कि ऐसा बिना मौद्रिक लाभ के भी किया जा सकता है। उच्च न्यायालय के वकील को इस बिंदु पर निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा गया है। 16 मार्च, 2020 को इस मामले पर सुनवाई होगी। 

जनवरी 2019 में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया था कि एडीजे को बहाल करना संभव नहीं है। 

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