केंद्र बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम को तुरंत रिहा करने को तैयार, एक साल बाद आएंगे बाहर

Update: 2020-07-29 08:37 GMT

केंद्र सरकार PSA एक्ट के तहत तिहाड़ जेल में बंद वरिष्ठ वकील और जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम को तुरंत रिहा करने को तैयार हो गई है ।केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार मियां अब्दुल कयूम को तुरंत रिहा करने को तैयार है और उन्हें तिहाड़ जेल से रिहा किया जाएगा। उन्होंने पीठ को बताया कि अदालत का सुझाव मान लिया गया है कि वो 6 अगस्त तक जम्मू-कश्मीर नहीं जाएंगे और इस संबंध में कोई बयान नहीं देंगे।

हालांकि इस दौरान कयूम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने अनुरोध किया कि उनको गुरुवार को रिहा किया जाए ताकि उनके परिवार वाले उन्हें ले जा सकें सॉलिसिटर जनरल ने इस पर सहमति जताई ।

सोमवार को जम्मू- कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि हिरासत का आदेश 6 अगस्त(इसकी समाप्ति की तारीख) से आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कयूम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत के सामने तर्क दिया था कि क़यूम को उनकी हिरासत अवधि के अंत तक तुरंत जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए।

इस पर पीठ ने सुझाव किया था कि कयूम को अभी सशर्त जमानत दी जा सकती है कि वो 6 अगस्त तक जम्मू-कश्मीर नहीं जाएंगे और इस संबंध में कोई बयान नहीं देंगे इसके बाद पीठ ने सॉलिसिटर जनरल को निर्देश देने का निर्देश दिया था कि क्या कयूम को 6 अगस्त तक सशर्त जमानत पर रिहा किया जा सकता है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करने और जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम ,1978 के तहत उनकी हिरासत को बरकरार रखने के जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के 28 मई, 2020 के आदेश को चुनौती देने की याचिका पर सुनवाई कर रहा है ।

पिछली सुनवाई में बेंच ने यह ध्यान में रखते हुए कि COVID-19 महामारी के चलते राज्य की ओर से सहानुभूति की जरूरत है, कहा था, " वह 73 वर्ष के हैं। हम जानना चाहते हैं कि आप उन्हें दिल्ली की तिहाड़ में किस आधार पर बनाए रखना चाहते हैं। इसके अलावा, उनके आदेश के अनुसार हिरासत की अवधि समाप्त होने वाली है। "

सुनवाई की पिछली तारीख में अदालत ने नोटिस जारी किया था और एक अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें कहा गया था कि जब तक वह तिहाड़ जेल में हिरासत में रहते हैं तब तक कयूम को गर्मियों के कपड़े और दैनिक आवश्यक सामान मुहैया कराए जाने चाहिए।

दरअसल भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त करने के लिए 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार द्वारा उपाय किए जाने के बाद, 7 अगस्त, 2019 से कयूम हिरासत में हैं।

. J & K हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति ताशी राबस्तान, जिन्होंने इस मामले की अध्यक्षता की थी, उन्होंंने माना था कि क़यूम को हिरासत में लेने की आवश्यकता के संबंध में अधिकारियों की व्यक्तिपरक संतुष्टि दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री थी। उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट, 1978 की प्रक्रिया के बाद ऐसा किया गया था। क़यूम की ओर से एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड आकाश कामरा द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता बार में 40 वर्ष से अधिक से वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, जो कई बार J&K हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर चुके हैं।इसमें 2014 से वर्तमान दिन तक का कार्यकाल भी शामिल है।

याचिका में आगे कहा गया कि उत्तरदाताओं ने 4 और 5 अगस्त, 2019 की रात को जम्मू और कश्मीर के दंड प्रक्रिया संहिता के 151 के साथ धारा 107 के प्रावधानों के तहत उन्हें हिरासत में लिया था। उसके बाद जम्मू-कश्मीर PSA, 1978 के प्रावधानों को लागू करते हुए उन्हें हिरासत में रखा गया था। क़यूम ने उत्तरदाताओं के आदेश को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी, जिसे 07.02.2020 को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद, उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक अपील भी 28.05.2020 को खारिज कर दी गई।  

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