बेंगलुरु में धारा 144 के आदेश पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा, क्या आप यह अनुमान लगाते हैं कि हर विरोध प्रदर्शन हिंसक हो जाएगा?

Update: 2019-12-20 10:05 GMT

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार से सीएए विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर बेंगलुरु में बुधवार रात को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत लगाए गए निषेधात्मक आदेशों की वैधता के बारे में सवाल किया।

"क्या आप (राज्य) प्रत्येक और हर विरोध पर प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं। आप इस प्रक्रिया के कारण पूर्व में दी गई अनुमति को कैसे रद्द कर सकते हैं?", पीठ का नेतृत्व करने वाले मुख्य न्यायाधीश अभय एस ओका ने पूछा।

"क्या यह अनुमान लगाते हुए आगे बढ़ सकते हैं कि हर विरोध प्रदार्शन हिंसक हो जाएगा। क्या कोई लेखक या कलाकार, यदि सरकार के किसी भी निर्णय से असहमत है तो शांतिपूर्ण विरोध नहीं कर सकता?", सीजे ने पूछा।

सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान इतिहासकार-विद्वान राम चंद्र गुहा को हिरासत में लेने के पुलिस के दृश्य गुरुवार को सोशल मीडिया में वायरल हो गए थे।

बेंच में शामिल न्यायमूर्ति प्रदीप सिंह युरूर ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे स्कूली बच्चों को हिरासत में लेने की वैधता पर भी सवाल उठाया।

संसद राज्यसभा के सदस्य, राजीव गौड़ा और विधानसभा सदस्य, सौम्या रेड्डी ने कोर्ट में जो पुलिस आयुक्त द्वारा जारी किए गए उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें सीआरपीसी की धारा 144 के तहत पांच या अधिक लोगों के समूह में किसी भी प्रकार के एकत्रित होने पर रोक लगाई गई। गुरुवार को बेंगलुरू में होने वाले सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के विरोध में होने वाले प्रदर्शन को देखते हुए बुधवार रात धारा 144 लगाने के आदेश जारी किए गए थे। बेंच इसी मामले पर सुनवाई कर रही थी।

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