भीमा कोरेगांव हिंसा : पुणे स्पेशल कोर्ट ने गौतम नवलखा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की
पुणे की स्पेशल कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी एक्टिविस्ट गौतम नवलखा की अग्रिम जमानत खारिज कर दी है। मंगलवार को फैसला सुनाते हुए विशेष UAPA जज एसआर नवन्दर ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या ऐसे सबूत हैं जो साबित करते हैं कि नवलखा प्रतिबंधित संगठन के एक सदस्य ही नहीं बल्कि उसके सक्रिय नेता हैं। इसलिए उनकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है।
संरक्षण हुआ समाप्त
इसके साथ ही नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से मिला गिरफ्तारी से सरंक्षण खत्म हो गया है। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा को कहा था कि वो पुणे की स्पेशल कोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत याचिका दाखिल करे। हाईकोर्ट नेस्पेशल कोर्ट को भी निर्देश दिया था कि वो जल्द से जल्द याचिका का निपटारा करे। पीठ ने पुणे पुलिस को भी कहा कि वो अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुनवाई को ना टाले।
इससे पहले 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए चार हफ्ते के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण बढ़ा दिया था। पीठ ने कहा था कि इस अवधि के दौरान वो संबंधित अदालत में अग्रिम जमानत के लिए प्रयास कर सकते हैं।
इसके बाद पीठ ने मामले का निस्तारण कर दिया था। वहीं नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि पुलिस ने आज तक उन्हें पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है और ना ही उनका FIR में नाम है। इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन पीठ ने कहा कि वो अग्रिम जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं। वहीं महाराष्ट्र सरकार ने सील कवर में जांच रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश की थी।
दरअसल चार अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को कहा है कि वो नवलखा को लेकर जो भी तथ्य हैं, उन्हें अदालत के सामने पेश करे। तब तक हाई कोर्ट का संरक्षण जारी रहेगा।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से किया था इंकार
नवलखा ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के 13 सितंबर के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें FIR रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। दरअसल उच्च न्यायालय ने नवलखा के खिलाफ 1 जनवरी 2018 को पुणे पुलिस द्वारा दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था।
दरअसल एल्गार परिषद द्वारा 31 दिसंबर 2017 को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में कार्यक्रम के एक दिन बाद कथित रूप से हिंसा भड़क गई थी । पुलिस का आरोप है कि मामले में नवलखा और अन्य आरोपियों का माओवादियों से लिंक था और वे सरकार को उखाड़ फेंकने की दिशा में काम कर रहे थे।