असम NRC की अंतिम सूची प्रकाशित, 19 लाख से अधिक लोगों के नाम गायब, पढ़िए प्रेस विज्ञप्ति

Update: 2019-08-31 07:11 GMT

सुप्रीम कोर्ट द्वारा असम एनआरसी की सूची प्राकाशित करने की निर्धारित समय सीमा के अनुसार नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) की अंतिम सूची प्रकाशित की गई है। सूची वेबसाइट nrcassam.nic.in और NRC seva kendras पर उपलब्ध है।

NRC को-ऑर्डिनेटर की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अंतिम सूची में 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख से अधिक व्यक्तियों (19,06,657) को बाहर रखा गया है। पिछले साल प्रकाशित मसौदा सूची में लगभग 40 लाख बाहर थे। सूची में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उनकी अपील ट्रिब्यूनल द्वारा सुनी जाएगी।

एनआरसी सूची के प्रकाशन के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मूल समय सीमा 31 जुलाई थी, जिसे सीजेआई रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने 23 जुलाई को जारी आदेश में 31 अगस्त तक बढ़ा दिया था।

केंद्र ने 20% समावेशों के पुन: सत्यापन की अनुमति देने का अनुरोध किया था, जिसमें कहा गया था कि बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में कई संदिग्ध मामले अंतिम सूची में थे। लेकिन कोर्ट ने राज्य NRC के समन्वयक प्रतीक हजेला से मिले इनपुट के आधार पर इसे ठुकरा दिया।

NRC की शुरुआत

असम के नेताओं के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच 1985 के असम समझौते में एनआरसी प्रक्रिया की उत्पत्ति हुई, जिसमें बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों को हटाने की मांग करते हुए असम छात्र संघ द्वारा छह साल तक बड़े पैमाने पर आंदोलन किया गया था।

25 मार्च, 1971 - वह दिन जब बांग्लादेश युद्ध शुरू हुआ था, नागरिकता का निर्धारण करने के लिए कट-ऑफ तारीख के रूप में निर्धारित किया गया था। उस तारीख के बाद असम आने वाले सभी लोगों को अवैध प्रवासी माना जाता था। 1985 में किए गए संशोधन के माध्यम से नागरिकता अधिनियम 1955 में सम्मिलित धारा 6 ए द्वारा वैधानिक मान्यता प्रदान की गई।

एनआरसी में शामिल होने के लिए किसी को यह स्थापित करना होगा कि वह कट ऑफ डेट से पहले भी असम में रहता था, या पूर्वजों की अपनी विरासत का पता लगाना था जो ऐसी तारीख से पहले असम में रह रहे थे। इसे 'विरासत दस्तावेजों' के माध्यम से स्थापित किया जाना है, अर्थात सरकार द्वारा अनुमोदित दस्तावेजों की एक सूची के माध्यम से इसे स्थापित किया जाना है। 



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