लोक अभियोजकों की नियुक्ति के मामले में अंतिम सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दे तय किए
जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने लोक अभियोजकों / सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति से संबंधित मुद्दे पर अंतिम सुनवाई के लिए सवाल तय कर लिए हैं। इस संबंध में ऑल इंडिया प्रॉसीक्यूटर्स एसोसिएशन और एक अन्य द्वारा रिट याचिका दायर की गई थी।
बेंच ने निम्नलिखित मुद्दे तय किये हैंं।
1. क्या आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 25 ए की उप-धारा 1 में 'हो सकता है' शब्द को "होगा" के रूप में पढ़ा जाना चाहिए और यदि ऐसा है, तो क्या प्रत्येक राज्य को धारा 25A के संदर्भ में अभियोजन निदेशालय स्थापित करना अनिवार्य है?
2. क्या आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 24 (6) में इस बात की परिकल्पना है कि लोक अभियोजकों / अपर लोक अभियोजकों / सहायक लोक अभियोजकों का नियमित कैडर होना चाहिए? यदि हां, तो ऐसे अधिकारियों के लिए भर्ती का तरीका क्या होना चाहिए?
3. यदि प्रश्न संख्या 2 का उत्तर नकारात्मक है, तो क्या पूरे देश में लोक अभियोजकों / अपर लोक अभियोजकों / सहायक लोक अभियोजकों की नियुक्ति के लिए एक समान प्रणाली की आवश्यकता है?
4. क्या लोक अभियोजक / अपर लोक अभियोजक / सहायक लोक अभियोजक के पद पूरी तरह से स्वतंत्र होने चाहिए और उनके कामकाज में पुलिस के प्रति जवाबदेह नहीं होनी चाहिए?
5. क्या राज्यों द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 24 (6) और धारा 25 (2) में संशोधन, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और भारत के संविधान का उल्लंघन है?
6. लोक अभियोजकों / अतिरिक्त लोक अभियोजकों / सहायक लोक अभियोजकों को प्रदान की जाने वाली न्यूनतम सुविधाएं क्या हैं ताकि वे अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभा सकें?
सुप्रीम कोर्ट प्रत्येक मामले की सुनवाई करेगा और 26 फरवरी को पहले मुद्दों पर विचार किया जाएगा।