'प्रक्रिया का दुरुपयोग': सुप्रीम कोर्ट ने 'कोरोना माता मंदिर' के विध्वंस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की; याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट ने 'कोरोना माता मंदिर' के विध्वंस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज किया। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया।
एक दीपमाला श्रीवास्तव ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक रिट याचिका दायर की थी और तर्क दिया कि "कोरोना माता मंदिर" के लिए अपने पति के सहयोग से उनके द्वारा बनाए गए मंदिर को ध्वस्त करने के बाद उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने आदेश में कहा,
"याचिकाकर्ता ने अब तक इस देश के लोगों को संक्रमित करने वाली अन्य सभी संभावित बीमारियों के लिए मंदिरों का निर्माण नहीं किया है।"
अदालत ने कहा कि जमीन विवादित है और इस संबंध में पुलिस में शिकायत की गई है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने इस संबंध में किसी उचित कानूनी उपाय का भी सहारा नहीं लिया है।
अदालत ने रिट याचिका को खारिज करते हुए कहा,
"हमारा विचार है कि यह स्पष्ट रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगया जाता है।"
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड वेलफेयर फंड में चार सप्ताह के भीतर 5000 रुपये जमा करने का निर्देश दिया।