अगर पक्षकारों में समझौता हो गया है तो 498A के तहत आपराधिक शिकायत जारी नहीं रह सकती, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आईपीसी की धारा 498A और दहेज निषेध अधिनियम के तहत की गई आपराधिक शिकायत के बाद यदि पक्षकारों ने इस मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है तो उपरोक्त शिकायत के तहत कार्रवाई जारी नहीं रह सकती।
न्यायमूर्ति ए.एम.कांविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ द्वारा पारित आदेश में पाया गया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस व्यवस्था के बावजूद कि दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण समझौते हो गया है, दोनों के बीच होने वाली कार्रवाई को रद्द करने से इनकार कर दिया।
यह माना गया था कि उच्च न्यायालय को इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए था कि पक्षकारों ने अपने सभी मतभेद सौहार्दपूर्वक हल कर लिए हैं और शिकायतकर्ता द्वारा शुरू की गई आपराधिक कार्रवाई सहित विवाह से संबंधित सभी कार्रवाई को बिना शर्त वापस ले लिया गया है।
मामले के तथ्य
मामले के संक्षिप्त तथ्य हैं कि शिकायतकर्ता ने दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4 और आईपीसी की धारा 498-ए के तहत शिकायत दर्ज की थी। उक्त कार्रवाई के समन प्राप्त होने के बाद, याचिकाकर्ता ने वैवाहिक कार्यवाहियों में पक्षकारों के बीच सेटलमेंट डीड निष्पादित निपटारे पर निर्भर अन्य बातों को खारिज करने के लिए आवेदन दायर किया।
सेटलमेंट डीड के खंड 4 को निम्नानुसार पढ़ा जाए :
"कि एक दूसरे के खिलाफ उनकी शादी से संबंधित सभी मामलों को बिना शर्त वापस ले लिया जाएगा और एक दूसरे के खिलाफ शादी से संबंधित कार्यवाही को स्वचालित रूप से निपटा दिया जाएगा और दोनों पक्षों को एक दूसरे की ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया जाएगा। दोनों पक्ष वैवाहिक दायित्वों से मुक्त होकर एक दूसरे से अलग-अलग रहने के लिए स्वतंत्र हैं। पार्टियों के बीच कोई लेन-देन शेष नहीं रहेगा। पक्ष 3 अपनी शादी से संबंधित एक दूसरे के प्रति कोई विवाद या कानूनी कार्रवाई नहीं करेगा और शादी से संबंधित सभी अधिकार / संबंध समाप्त होने पर विचार किया जाएगा। पार्टियां फिर से शादी करने के लिए स्वतंत्र हैं। "
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह विवाद में नहीं है कि निपटान के बाद, अंत में वैवाहिक कार्यवाहियों का निपटान किया गया है। आदेश का देशव्यापी प्रभाव होगा क्योंकि यह केवल पति-पत्नी के बीच ही नहीं बल्कि अन्य रिश्तेदारों के साथ भी है जिन्हें 498A शिकायत में आरोपी बनाया गया है। इसलिए, यदि पति और पत्नी अपने विवादों का निपटारा करते हैं, तो आपराधिक शिकायत अन्य आरोपी रिश्तेदारों के खिलाफ भी नहीं चल पाएगी।
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