भारत मेंं 32.45 मिलियन मामले लंंबित, 10% केस 10 साल पुराने : जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

Update: 2020-05-25 10:34 GMT

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने रविवार को भारत में मामलों की पेंडेंसी पर नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्राइंड (NJDG)का डेटा साझा किया।

24 मई तक, भारत में लंबित मामलों की कुल संख्या 32.45 मिलियन है। 9.045 मिलियन सिविल मामले हैं और 23.39 मिलियन आपराधिक मामले हैं। उन मामलों में से 32% मामले एक वर्ष से कम पुराने हैं।

28% मामले एक से तीन साल तक लंबित मामलों की श्रेणी में आते हैं। 15% मामले तीन से पांच साल की पेंडेंसी की श्रेणी में आते हैं। फिर से, 15.28% मामले उन वर्गों के हैं जो पांच से दस साल पुराने हैं। 7.1% मामले 10 से 20 साल की अवधि के लिए लंबित हैं।

20 से 30 साल के बीच लंबित मामलों की श्रेणी में, 1.28% मामले हैं। 0.26% मामले 30 साल से पुराने हैं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा,

"टैक्नोलॉजी हमें बताती है कि पिरामिड का कौन सा हिस्सा है जिस पर हमें पहले हमला करना है।" उन्होंने कहा कि प्राथमिकता उन मामलों से निपटेगी जो दस साल से पुराने हैं।"

महामारी के दौरान दर्ज मामलों का डेटा

न्यायाधीश ने महामारी के दौरान पिछले एक महीने में दर्ज मामलों के आंकड़े भी साझा किए। इस अवधि के दौरान 3049 सिविल मामले और 90,742 आपराधिक मामले दर्ज किए गए।

इनमें से 832 सिविल मामले और 40,095 आपराधिक मामले निपटाए गए।

उन्होंने कहा कि NJDG के पास 98.20 मिलियन मामलों (27.35 मिलियन सिविल मामलों और 70.85 मिलियन आपराधिक मामलों) का निपटारा करने का आंकड़ा है।

एनजेडीजी के पास देश के 633 जिलों की अदालतों के आंकड़े भी हैं। राष्ट्र भर में 8230 अदालत परिसर हैं, जिसमें 19,794 न्यायिक अधिकारी काम कर रहे हैं। कुल 133.24 मिलियन मामलों का डेटा, जिसमें लंबित और निपटाए गए दोनों मामले शामिल हैं। 119.68 मिलियन आदेश अपलोड किए गए हैं।

उपरोक्त आंकड़े जस्टिस चंद्रचूड़ द्वारा जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ "फ्यूचर ऑफ वर्चुअल कोर्ट्स एंड एक्सेस टू जस्टिस इन इंडिया" विषय पर NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के 'न्याय फोरम' द्वारा आयोजित एक वेबिनार में बात करते हुए साझा किए गए। 

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