2005 राम जन्मभूमि आतंकी हमला: विशेष अदालत ने चार दोषियों को उम्रकैद दी, एक बरी

Update: 2019-06-18 12:20 GMT

जुलाई 2005 को अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि परिसर में हुए आतंकी हमले में प्रयागराज ( इलाहाबाद ) की विशेष अदालत ने 14 वर्ष बाद फैसला सुनाया और 4 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि 1 आरोपी को बरी कर दिया है। चारों दोषियों पर 2.40 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

आरोपियों को सुनाई गई सजा

विशेष जज दिनेश चंद ने डॉक्टर इरफान, मोहम्मद शकील, मोहम्मद नफीस, आसिफ इकबाल उर्फ फारूक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि पांचवे आरोपी मोहम्मद अजीज को आरोपों से बरी कर दिया।

बीते 11 जून को नैनी जेल में इस मामले को लेकर हुई अंतिम सुनवाई के बाद स्पेशल जज दिनेश चंद ने कहा था कि 5 आरोपियों पर कोर्ट 18 जून को अपना फैसला सुनाएगा।

नैनी जेल में की गयी सुनवाई में अभियुक्तों पर आरोप 
सरकारी वकील गुलाब चन्द अग्रहरि ने इस मामले में अभियोजन का पक्ष रखा। अभियोजन की तरफ से कोर्ट के सामने 57 गवाह पेश किए गए जबकि कोर्ट ने 7 गवाहों को अपनी ओर से बुलाकर उनकी गवाही कराई। इस तरह कुल 64 लोगों की गवाही हुई और इस केस की सुनवाई नैनी जेल में की गई। पांचों आरोपियों पर साजिश रचने, आतंकियों की मदद करने और संसाधन उपलब्ध कराने का आरोप है।

क्या था यह पूरा मामला ?
दरअसल लश्कर ए तैयबा के आतंकियों ने 5 जुलाई 2005 की सुबह 9 बजे अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि परिसर में हथियारों से फायरिंग करते हुए बम धमाका किया था। इसमें ड्यूटी में तैनात सुरक्षा बल के कई जवान जख्मी हो गए थे। जवाबी कार्रवाई में जवानों ने 5 आतंकियों को ढेर कर दिया था। बाद में 5 आरोपी पकड़े गए। इस हमले में 2 आम नागरिकों की भी मौत हो गई थी। हमले में 7 अन्य लोग घायल भी हुए थे।

मामले में हुई गिरफ्तारियां
घटना के बाद हमला करने वालों की मदद के आरोप में सहारनपुर के डॉक्टर इरफान, जम्मू के पुंछ इलाके के आसिफ इकबाल उर्फ फारूक, शकील अहमद, मोहम्मद नसीम और मोहम्मद अजीज को गिरफ्तार किया गया था। फैजाबाद के थाना राम जन्मभूमि में यह मामला दर्ज हुआ था।

वर्ष 2006 से अबतक मामले में हुई प्रगति
जिला जज फैजाबाद की अदालत ने 19 अक्टूबर 2006 को मामले में आरोप तय किए थे लेकिन बाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर आतंकियों को इलाहाबाद की नैनी सेंट्रल जेल स्थानांतरित कर दिया गया और केस को भी इलाहाबाद विशेष अदालत भेज दिया गया।

कोर्ट ने पिछले साल 30 नवंबर को फैसला सुनाने की तरीख तय की थी लेकिन इसके बाद कुछ गवाहों को बुलाने की जरूरत बताते हुए मामले की फिर से सुनवाई शुरू की गयी थी।

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