1984 सिख विरोधी दंगा:  SC ने सज्जन कुमार एम्स मेडिकल बोर्ड के सामने गुरुवार को पेश करने के निर्देश दिए 

Update: 2020-03-04 09:42 GMT

1984 में हुए सिख विरोधी दंगे में आजीवन कारावास के सजायाफ्ता कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार की मेडिकल आधार पर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुरुवार पांच मार्च की सुबह 10.30 बजे एम्स के मेडिकल बोर्ड के सामने पेश करने को कहा है। 

 मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा कि बोर्ड सज्जन कुमार का परीक्षण कर ये बताएगा कि क्या उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है और यदि है तो कितने दिनों तक। पीठ ने इसके लिए एक सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। 

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि एम्स के मेडिकल बोर्ड ने जांच की है और पाया है कि कुमार सामान्य हैं बस वो हाइपरटेंशन के शिकार हैं। 

 पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने एम्स के निदेशक को डॉक्टरों का मेडिकल बोर्ड बनाकर सज्जन कुमार का मेडिकल परीक्षण करने के निर्देश दिए थे। वहीं इस दौरान सज्जन कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने स्वास्थ्य आधार पर जमानत देने की गुहार लगाई थी। उन्होंने पीठ को बताया था कि सज्जन कुमार का वजन 8 किलो कम हो गया 

वहीं पीड़ितों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने जमानत का विरोध किया था और कहा कि पीठ ने पहले ही मामले की सुनवाई 2020 में गर्मियों की छुट्टियों में सूचीबद्ध की है। 

दरअसल कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई थी। इससे पहले 5 अगस्त 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी अपील और सजा के निलंबन की याचिका को अगले साल गर्मियों की छुट्टियों तक टाल दिया था। 

वहीं CBI ने इस जमानत का विरोध किया है।  सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में जांच एजेंसी ने कहा है कि सज्जन कुमार शक्तिशाली और प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनके जेल से बाहर आने पर मामलों के गवाह प्रभावित हो सकते हैं।

CBI ने कहा है कि सज्जन कुमार की जमानत अर्जी में कोई योग्यता नहीं है और उसे खारिज किया जाना चाहिए।  

गौरतलब है कि 14 जनवरी 2018 को सज्जन कुमार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सज्जन कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है जिसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। पीठ ने सज्जन कुमार की जमानत देने की अर्जी पर भी सीबीआई को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा था। 

31 दिसंबर 2018 को सज्जन कुमार ने दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत में सरेंडर कर दिया था। इसके बाद उन्हें मंडोली जेल भेजा दिया गया। वहीं इस दौरान सज्जन कुमार के वकीलों ने मांग की थी कि उन्हें तिहाड़ जेल भेजा जाए क्योंकि मामला दिल्ली कैंट थाने का है लेकिन नियमों के तहत सज्जन कुमार को अलग वैन में मंडोली जेल भेजा गया। 

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