असम में NRC : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सैन्यकर्मी को विदेशी घोषित करने जैसी घटनाओं पर चिंता जताई, आपत्तियों पर सुनवाई की सही प्रक्रिया अपनाने का निर्देश

Update: 2019-05-30 16:30 GMT

असम में विदेशियों के लिए ट्रिब्यूनल की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सेना के एक सेवानिवृत कर्मचारी को विदेशी घोषित किए जाने की घटनाओं पर चिंता जाहिर की है।

"मीडिया रिपोर्ट परेशान करने वाली"
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने कोई नाम लिए बिना मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया और यह कहा कि ये रिपोर्ट परेशान करने वाली हैं।

पीठ ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स ( NRC) के संयोजक प्रतीक हजेला से कहा कि कोर्ट ने NRC के फाइनल ड्राफ्ट की डेडलाइन 31 जुलाई रखी है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दावों व आपत्तियों की सुनवाई की प्रक्रिया को छोटा कर दिया जाए।

200 पूर्व नौकरशाहों की विदेशी ट्रिब्यूनल के सदस्यों के तौर पर नियुक्ति पर मुहर
पीठ ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा करें तो यह प्रक्रिया सही तरीके से नहीं चल रही है और इसे सही होना चाहिए। वहीं इस दौरान पीठ ने राज्य सरकार की उस अर्जी पर भी मुहर लगा दी जिसमें विदेशी ट्रिब्यूनल के सदस्यों के तौर पर 200 पूर्व नौकरशाहों को नियुक्त करने की अनुमति मांगी गई थी।

सेना के एक पूर्व अधिकारी के विदेशी घोषित होने पर विवाद
दरअसल सेना के एक पूर्व अधिकारी को विदेशियों के लिए बने न्यायाधिकरण द्वारा बुधवार को विदेशी घोषित होने के पश्चात हिरासत शिविर में भेज दिया गया। कामरूप जिले में कार्यरत इस न्यायाधिकरण ने इसी जिले के बोको पुलिस थाना क्षेत्र के गांव कोलोहिकाश के निवासी मोहम्मद सनाउल्लाह को 'विदेशी' घोषित कर दिया था। वह इस समय, सीमा पुलिस में सहायक उप-निरीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

NRC का काम 31 जुलाई तक होना है पूरा

इससे पहले 8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने यह दोहराया था कि असम में NRC का काम 31 जुलाई तक पूरा होना चाहिए भले ही उन लोगों के खिलाफ आपत्तियों को आगे बढ़ाने में असफलता हो, जिनके नाम पिछले साल जुलाई में प्रकाशित NRC के मसौदे में शामिल नहीं किए गए हैं।

"बहादुर बनो और कानून का पालन करो, NRC को 31 जुलाई तक आना चाहिए, शायद एक दिन पहले ही लेकिन एक दिन बाद नहीं," सुप्रीम कोर्ट ने कहा था।


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