जर्मन ऑटोमोबाइल प्रमुख वॉक्सवैगन को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कंपनी पर 500 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि फिलहाल उसके खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
कंपनी पर लगा था 500 करोड़ रुपये का जुर्माना
दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भारत में अपनी डीजल कारों में "चीट डिवाइस" के उपयोग के माध्यम से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए वॉक्सवैगन पर 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
"कठोर कार्यवाही नहीं की जानी चाहिये"
न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने यह कहते हुए इस आदेश को पारित किया कि एनजीटी द्वारा जुर्माने को लेकर वॉक्सवैगन के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
2 महीने के भीतर रकम जमा करने का हुआ था निर्देश
दरअसल बीते 7 मार्च को एनजीटी ने वॉक्सवैगन पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था और प्रिंसिपल बेंच ने इस आदेश के पारित होने के 2 महीने के भीतर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास यह रकम जमा करने का निर्देश दिया था।
"NGT का आदेश मनमाना और अनुचित"
इसके बाद वॉक्सवैगन समूह की कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में NGT के आदेश को अनुचित और मनमाना बताया था। इसमें कहा गया था कि NGT ने अपनी खुद की नियुक्त समिति की रिपोर्ट (जिसमे बताया गया था कि समूह की कंपनियों के वाहन भारत में विनियामक पर्यावरण नियमों के अनुपालन में हैं) के बावजूद वॉक्सवैगन पर अत्यधिक राशि का जुर्माना लगाया।
"ऑन रोड परीक्षण के आधार पर निर्णय सुनाना है अनुचित"
इसमें आगे कहा गया था कि NGT ने "ऑन रोड" परीक्षणों के आधार पर अपने निष्कर्ष निकाले हैं, जिनका भारतीय कानून के तहत कोई कानूनी आधार या वैधता नहीं है, और यह स्पष्ट है कि इन परीक्षणों को समूह की कंपनियों के खिलाफ जुर्माना या किसी प्रतिकूल खोज के लिए आधार नहीं बनाया जा सकता है।
NGT द्वारा "ऑन रोड" परीक्षण पर निर्भरता को पूरी तरह से मनमाना और अन्यायपूर्ण करार देते हुए, वॉक्सवैगन ने अनुरोध किया कि NGT ने जो निष्कर्ष निकाला है कि केंद्रीय मोटर वाहन (11 वां संशोधन) नियम, 2016 ("CMRR संशोधन नियम"), जो वास्तविक विश्व ड्राइविंग का वर्णन करता है, अप्रैल 2023 से चक्र उत्सर्जन माप एकल निर्माता यानी वॉक्सवैगन समूह की कंपनियों के लिए पूर्वव्यापी रूप से लागू किया जा सकता है।
"यह प्रस्तुत किया जाता है कि वास्तविक विश्व ड्राइविंग चक्र उत्सर्जन माप के लिए एक अनुरूप कारक आज तक भी निर्धारित नहीं किया गया है। इस प्रकार, "ऑन रोड" परीक्षण पर निर्भरता पूरी तरह से मनमानी और अनुचित है," कंपनी द्वारा कहा गया।
"NGT ने किया अपनी सीमा को पार"
शीर्ष अदालत के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया कि NGT ने अपने अधिकार क्षेत्र को पार कर लिया है और कानून के क्षेत्र में प्रवेश किया है। यह उल्लेख किया गया है कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 110 के अनुसार, केवल केंद्र सरकार के पास हई वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन के लिए मानक तय करने की शक्ति है और NGT ने मनमाने ढंग से उन मानदंडों को लागू किया है जो वॉक्सवैगन कंपनियों को उत्तरदायी बनाने के लिए लागू नहीं हैं।
"NGT ने की SC के आदेश की अवहेलना"
वॉक्सवैगन ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि NGT ने सुप्रीम कोर्ट के 21 जनवरी, 2019 के आदेश की पूर्ण रूप से अवहेलना की है। सीपीसीबी की रिपोर्ट के बावजूद, कि जब सड़क पर परीक्षण किया जाता है तो अन्य निर्माताओं से उच्च उत्सर्जन की सूचना नहीं ली जाती, एनजीटी द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया है।
"अन्य कंपनियों का उत्सर्जन भी है अधिक मात्रा में"
आगे यह तर्क दिया कि यहां तक कि इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी ("आईसीएटी") रिपोर्ट स्पष्ट रूप से यह दिखाती है कि हुंडई और महिंद्रा एंड महिंद्रा वाहनों से उत्सर्जन बीएस IV मानदंडों से 4 से 6 गुना अधिक था, जो वाहनों के कथित उच्च उत्सर्जन की तुलना में काफी अधिक है। इसमें कहा गया है कि एनजीटी द्वारा उक्त रिपोर्ट पर विचार नहीं किया गया है और इसके द्वारा एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को बोझ दे दिया है।
"NGT ने किया अखबारों की रिपोर्ट पर भरोसा"
वॉक्सवैगन ने अदालत को यह भी याद दिलाया था कि उसने ही इस मुद्दे को देखने के लिए NGT को निर्देश दिया था। उसने अपने सबमिशन में कोर्ट को बताया कि NGT ने अन्य न्यायालयों के फैसलों या निष्कर्षों पर निर्भरता रखने और अन्य देशों में निर्णय या निष्कर्षों पर भरोसा नहीं किया है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि NGT ने उन अख़बारों की रिपोर्टों पर भरोसा रखा है जिनकी कोई कानूनी वैधता नहीं है।
"अखबार की कुछ रिपोर्टें अन्य निर्माताओं से भी संबंधित हैं और वॉक्सवैगन समूह की कंपनियों से बिल्कुल भी उनका लेना देना नहीं है। इसके अलावा समाचार पत्रों की कुछ रिपोर्टें, उन देशों का उल्लेख करती हैं जिनके लिए उन्हें आवेगबद्ध आदेश के भीतर संदर्भित नहीं किया गया है। यहाँ तक की कुछ लेखों में वॉक्सवैगन समूह की कंपनियों पर जुर्माना लगाने का भी उल्लेख नहीं किया गया है," कहा गया।
वॉक्सवैगन ने पहले कहा था कि उसने एनजीटी के आदेश के अनुसार किसी भी "चीट डिवाइस" का इस्तेमाल नहीं किया है। चीट डिवाइस एक सॉफ्टवेयर है जो कार निर्माताओं को इंजन के प्रदर्शन को बदलकर उत्सर्जन परीक्षणों में हेरफेर करने की अनुमति देता है।