मुलायम सिंह और अखिलेश के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के सबूत नहीं, CBI ने दाखिल किया SC में हलफनामा
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा है कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव, उनके बेटों अखिलेश यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। एजेंसी ने कहा है कि इसी के चलते वर्ष 2013 में प्राथमिक जांच को बंद कर दिया गया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने याचिकाकर्ता के उस आरोप के बाद सीबीआई से जवाब मांगा था कि सीबीआई ने मामले में कोई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं की है जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को 11 वर्ष से अधिक समय बीत गया है।
चतुर्वेदी ने अपनी अर्जी में कहा है कि वर्ष 2005 में दायर मुख्य रिट याचिका में उन्होंने सीबीआई को मुलायम सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए उचित कार्रवाई करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।
अदालत ने सीबीआई को भारत सरकार को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और ऐसी रिपोर्ट प्राप्त होने पर भारत सरकार उत्तरदाताओं की संपत्ति के लिए प्रारंभिक जांच के परिणाम के आधार पर और कदम उठा सकती है।
यह कहा गया है कि सीबीआई ने उक्त स्टेटस रिपोर्ट 4 उत्तरदाताओं से प्रारंभिक पूछताछ और 01.04.1993 से 31.03.2005 तक आयकर रिटर्न देखने के बाद तैयार की।
मुलायम सिंह यादव द्वारा संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए स्पष्ट विचार के आधार पर भी उनकी आय के ज्ञात स्रोतों के अनुपात में उनकी संपत्ति 2,99,00,000 रुपये ज्यादा थी। इसके अलावा, यदि पूरे परिवार की संपत्ति को ध्यान में रखा जाता है, तो आय के ज्ञात स्रोतों के अनुपात में संपत्ति 9,22,72,000 रुपये ज्यादा थी और वर्ष 2013 में इस संपत्ति का मूल्य 24 करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा कि 11 वर्षों से इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण पहले से ही एक असामान्य रूप से लंबी अवधि हो गई और पूरा मामला सीबीआई के पास एक नियमित मामले के पंजीकरण के लिए लंबित है।
दरअसल मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और प्रतीक यादव की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए निष्पक्ष और तत्काल जांच की आवश्यकता थी। हालांकि अदालत ने डिंपल यादव द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को अनुमति दी थी और सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह डिंपल यादव की संपत्ति की जांच छोड़ दे।
अन्य उत्तरदाताओं के संबंध में इस अदालत ने सीबीआई को इस तरह की स्वतंत्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया था क्योंकि जांच और आयकर रिटर्न के आधार पर यह फिट माना गया था कि कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाए।
उन्होंने प्रस्तुत किया है कि उन्होंने एक बड़ा व्यक्तिगत जोखिम लिया है और ये उनके परिवार के सदस्यों व स्वयं के लिए एक वास्तविक और गंभीर सुरक्षा खतरा है। मामले में निष्क्रियता और देरी ने उनके जीवन पर और खतरा बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि सीबीआई का यह कदम हमारे देश के अच्छे और ईमानदार नागरिक को हतोत्साहित करेगा।