मु्बई में 14,000 करोड़ रुपये की तटीय सड़क परियोजना फिलहाल बंद रहेगी, सुप्रीम कोर्ट 20 अगस्त को करेगा सुनवाई

Update: 2019-07-30 05:27 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में 14,000 करोड़ रुपये की तटीय सड़क परियोजना पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक पर फिलहाल कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया है और अंतरिम राहत पर सुनवाई को 20 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया है।

बीएमसी ने कहा कि यह परियोजना मुंबई के लिए है आवश्यक
हालांकि इस दौरान बीएमसी की ओर से पीठ को यह बताया गया कि मुंबई शहर के लिए ये परियोजना बेहद जरूरी है क्योंकि वहां पर सड़कों पर बहुत दबाव है इसलिए हाई कोर्ट के आदेश पर तुंरत रोक लगाई जानी चाहिए। पीठ ने मामले पर सुनवाई की सहमति जताई और मामले में नोटिस जारी कर दिया।

बॉम्बे HC ने लगाई थी परियोजना पर रोक
गौरतलब है कि बीते 17 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम की महत्वाकांक्षी 14,000 करोड़ रुपये की तटीय सड़क परियोजना को दी गई CRZ मंजूरी को रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि बीएमसी 29.2 किमी लंबी उस परियोजना पर काम जारी नहीं रख सकता, जो दक्षिण मुंबई में मरीन ड्राइव क्षेत्र को उत्तरी मुंबई में उपनगरीय बोरिवली से जोड़ने के लिए प्रस्तावित है।

HC ने रद्द की थी परियोजना की सीआरजेड मंजूरी
मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति एन. एम. जामदार की पीठ ने शहर के एक्टिविस्ट, निवासियों और मछुआरों द्वारा परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अनुमति देते हुए तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेड) की मंजूरी को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा, "हम परियोजना को दी गई सीआरजेड मंजूरी को रद्द कर रहे हैं। हमने माना है कि परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी जरूरी है।" अप्रैल में उच्च न्यायालय ने बीएमसी को इस परियोजना पर आगे कोई काम करने से रोक दिया था, जिसके बाद निगम ने उच्चतम न्यायालय में इस मामले को लेकर अपील की थी।

याचिकाकर्ता द्वारा इस परियोजना के संबंध में किया गया दावा
वहीं बीते मई में शीर्ष अदालत ने निगम को मौजूदा काम करने की अनुमति दी थी लेकिन किसी भी नए काम को करने से रोक दिया था। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय को अंतिम सुनवाई के लिए निर्देश दिया था। याचिकाकर्ताओं ने प्राथमिक आधार पर परियोजना के लिए पुनर्ग्रहण और निर्माण कार्य को चुनौती दी कि इससे तट को नुकसान होगा और समुद्र के किनारे के प्रमुख समुद्री जीवन और मछुआरों की आजीविका नष्ट हो जाएगी। उन्होंने यह दावा किया था कि तटीय सड़क परियोजना अपरिवर्तनीय रूप से तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाएगी और मछली पकड़ने वाले समुदाय को उनकी आजीविका के स्रोत से वंचित करेगी।

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