केरल के चर्च विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, क्या केरल कानून से ऊपर है ?

Update: 2019-07-03 14:42 GMT

"क्या केरल कानून से ऊपर है?" नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए चर्चों में प्रशासन और प्रार्थनाओं के संचालन के अधिकार पर 2 गुटों के बीच विवाद पर अदालत के वर्ष 2017 के फैसले को लागू ना करने पर मुख्य सचिव को सलाखों के पीछे डालने की धमकी दे डाली।

केरल के मुख्य सचिव को लगी अदालत से फटकार

जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एम. आर. शाह की पीठ ने यह चेतावनी दी कि वह केरल के मुख्य सचिव को "न्याय वितरण प्रणाली का मजाक बनाने" के लिए अदालत में तलब करेंगे। पीठमालनकारा चर्च के रूढ़िवादी धड़े के तहत 1,100 परगनों और उनके चर्चों पर नियंत्रण के अपने आदेश को लागू करने से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी।

मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, "अपने मुख्य सचिव से कहें कि अगर वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाने का इरादा रखते हैं तो हम सभी को यहां बुला लेंगे। क्या केरल कानून से ऊपर है ? आप न्याय वितरण प्रणाली का मखौल उड़ा रहे हैं।"

पीठ ने यह भी चेतावनी दी कि अगर शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए आदेशों को राज्य द्वारा लागू नहीं किया जाता तो केरल के मुख्य सचिव को सलाखों के पीछे भी भेजा जा सकता है।

"आ गया है कार्यवाही करने का समय"

वहीं राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए पीठ ने कहा, "आप मामले की गंभीरता को समझते हैं। हमने लोगों को इतना बर्दाश्त किया है। अब आपके खिलाफ कार्रवाई करने का समय आ गया है।"

करना होगा अदालत के आदेश को लागू

पीठ ने आगे कहा, "देश में क्या हो रहा है? अगर उन्हें लगता है कि वे इस तरह की चीजें कर सकते हैं तो हम सभी को यहां बुला लेंगे। सर्वोच्च न्यायालय के साथ इस तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता।" पीठ ने साफ किया कि अदालत के आदेशों को राज्य सरकार द्वारा लागू किया जाएगा।

क्या है यह पूरा मामला१

दरअसल वर्ष 2017 के अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने यह माना था कि वर्ष 1934 के मालनकारा चर्च के दिशानिर्देश के अनुसार मालनकारा चर्च के तहत 1,100 परगने और उनके चर्चों को रूढ़िवादी गुट द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए।

हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद जैकबाइट चर्च के अनुयायियों पर रूढ़िवादी गुट को रोकने का आरोप लगाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ सेंट मेरीज ऑर्थोडॉक्स चर्च और अन्य द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई की जिसमें राज्य के वकील की उन दलीलों के आधार पर इस मुद्दे पर 2 रिट याचिकाओं पर सुनवाई बंद कर दी गई थी कि गुटों के बीच विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए उनके द्वारा कदम उठाए गए हैं।

याचिकाकर्ताओं ने यह दावा किया है कि मामले में उच्च न्यायालय द्वारा पारित कुछ निर्देश सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत थे।

सेंट मैरी ऑर्थोडॉक्स चर्च और अन्य ने उच्च न्यायालय में 2 याचिकाएं दायर की थीं जिनमें मामले में पारित किए गए शीर्ष अदालत के आदेशों को लागू करने और वहां के चर्चों में प्रार्थना की सुरक्षा के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की गई थी।



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