सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में जूनियर सिविल जजों की नियुक्ति के मामले की जांच जस्टिस सीकरी को सौंपी, उत्तर पुस्तिकाओं की करेंगे जांच
हरियाणा न्यायिक सेवा में जूनियर सिविल जजों की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस ए. के. सीकरी को जांच करने को कहा है।
उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का पैटर्न है अहम सवाल
जस्टिस सीकरी को सभी प्रत्याशियों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कर यह बताने को कहा गया है कि क्या मूल्यांकन के पैटर्न को अदालत द्वारा मंजूर किया जा सकता है या नहीं। पीठ इस मामले की सुनवाई जुलाई में करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति कार्यवाही पर लगाई रोक
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के बिना अदालत की अनुमति हरियाणा न्यायिक सेवा में जूनियर सिविल जजों की नियुक्ति करने पर रोक लगा दी थी। पीठ ने हरियाणा में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के पद के लिए मुख्य परीक्षा में अपनाई गई चयन प्रक्रिया और मूल्यांकन पद्धति को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस भी जारी किया है। गौरतलब है कि इस परीक्षा के परिणाम 11 अप्रैल को घोषित किए गए थे।
107 रिक्त पदों के सापेक्ष केवल 9 छात्रों का मुख्य परीक्षा में चयन
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को सभी उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन सहित चयन के रिकॉर्ड के साथ अदालत में उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। ऐसा आरोप लगाया गया है कि हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) परीक्षा- 2017 में भर्ती प्रक्रिया मनमानी और दुर्भावनापूर्ण रही है। यह बताया गया है कि कुल 107 रिक्त पदों के लिए केवल 9 छात्रों (सभी श्रेणियों में शामिल) को साक्षात्कार के लिए चुना गया है जबकि इसके लिए नियम है कि अभ्यर्थियों की संख्या विज्ञापित पदों की संख्या के तीन गुणा होनी चाहिए।
तमाम मेधावी छात्रों को मुख्य परीक्षा में नहीं मिली सफलता
ऐसा बताया गया है कि कम से कम 20-30 उम्मीदवार ऐसे भी थे, जो मुख्य परीक्षा के लिए उपस्थित हुए, पर वो साक्षात्कार के लिए चयनित नहीं हुए। गौरतलब है कि ये वो उम्मीदवार हैं जिन्होंने पहले से ही अन्य राज्यों की न्यायिक परीक्षाओं को पास कर लिया है, या इनमे से अधिकांश पहले से ही जज हैं। ये लोग साक्षात्कार के लिए उपयुक्त नहीं पाए गए, इनमें से कुछ उम्मीदवार प्रतिष्ठित लॉ कॉलेजों के टॉपर और स्वर्ण पदक विजेता हैं।
इसके अलावा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया गया और प्रारंभिक जांच के बाद जुलाई, 2017 में पहले से आयोजित प्रारंभिक परीक्षा को प्रश्नपत्र लीक होने के चलते रद्द कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि इसकी नियमित जांच और पूरे मामले की आगे की जांच के लिए निर्देश पारित किए गए थे और 2 उम्मीदवारों और रजिस्ट्रार (भर्ती) डॉ. बलविंदर शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने का भी निर्देश दिया गया था।