खुद को अलग करने का फैसला किसी भी संदेह से बचने के लिए, जस्टिस रमन्ना ने कहा, जस्टिस इंदु मल्होत्रा पैनल में शामिल

Update: 2019-04-26 06:05 GMT

"खुद को अलग करने का मेरा निर्णय केवल किसी भी संदेह से बचने के इरादे पर आधारित है कि यह संस्था न्यायिक स्वामित्व और विवेक के उच्चतम मानकों को ध्यान में रखते हुए खुद का संचालन नहीं करेगी," जस्टिस एन. वी. रमना ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाले पैनल से खुद को अलग करने के लिए जस्टिस एस. ए. बोबड़े को लिखे अपने पत्र में ये सूचित किया।

दरअसल इन आरोपों की इन-हाउस जांच कराने के लिए मंगलवार को जस्टिस बोबड़े की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया गया था। गुरुवार शाम को इस पैनल में जस्टिस इंदु मल्होत्रा को शामिल किया गया। अब इस पैनल में जस्टिस बोबड़े के साथ जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी हैं और इस पैनल की पहली सुनवाई शुक्रवार को होनी है।

पीड़ित महिला ने जताई थी आपत्ति
बुधवार को CJI के खिलाफ आरोप लगाने वाली पूर्व महिला कर्मचारी ने इन-हाउस पैनल में जस्टिस रमना को शामिल करने पर आपत्ति जताई थी और यह दावा किया था कि वह CJI के निवास पर लगातार आते- जाते हैं और CJI के 'करीबी दोस्त' हैं। वो CJI के लिए एक परिवार के सदस्य की तरह हैं।

महिला कर्मी ने यह भी कहा था कि 20 अप्रैल को जिस दिन उसका हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को भेजा गया था, उसी दिन हैदराबाद में बोलते हुए जस्टिस रमना ने उसके आरोपों को खारिज कर दिया था। गुरुवार को जस्टिस रमना ने खुद को पैनल से हटा लिया है।

जस्टिस रमना के पत्र के मुख्य अंश
जस्टिस रमना द्वारा कहा गया, "यह इस शिकायत की असाधारण प्रकृति और विकसित होती परिस्थितियाँ हैं जिनके तहत मैं खुद को इस मामले से अलग कर कहा हूं, ना कि शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए आधार पर। मेरा खुद को अलग करना राष्ट्र के लिए एक स्पष्ट संदेश होना चाहिए कि इसके बारे में कोई आशंका नहीं होनी चाहिए कि हमारे संस्थान में ईमानदारी है और हम अपने ऊपर बने विश्वास की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने से परहेज नहीं करेंगे। आखिरकार यह हमारी नैतिक शक्ति का अंतिम स्रोत है।"

उन्होंने आगे कहा कि, "यह सच है कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए बल्कि प्रकट रूप से दिखना भी चाहिए। मुझे इस स्तर पर भी सतर्कता बरतने की जरूरत है कि यह भी उतना ही सत्य है कि न्यायालय का दरवाजा खटखटाने और न्याय की प्रक्रियाओं को रद्द करने की शक्ति रखने वाला कोई नहीं होना चाहिए। तात्कालिक मामले में मेरे खुद को अलग करने के फैसले से मामूली रूप से भी ये समझना नहीं चाहिए कि हमने इनमें से किसी भी सिद्धांत को स्थानांतरित कर दिया है।"

दरअसल जस्टिस रमना ने CJI से करीबी होने की बात को ये कहते हुए खारिज किया है कि सुप्रीम कोर्ट में सभी जज एक परिवार की तरह रहते हैं और सामाजिक तौर पर भी एक-दूसरे के घर जाना कोई नई बात नहीं है।


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