खुद को अलग करने का फैसला किसी भी संदेह से बचने के लिए, जस्टिस रमन्ना ने कहा, जस्टिस इंदु मल्होत्रा पैनल में शामिल
"खुद को अलग करने का मेरा निर्णय केवल किसी भी संदेह से बचने के इरादे पर आधारित है कि यह संस्था न्यायिक स्वामित्व और विवेक के उच्चतम मानकों को ध्यान में रखते हुए खुद का संचालन नहीं करेगी," जस्टिस एन. वी. रमना ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने वाले पैनल से खुद को अलग करने के लिए जस्टिस एस. ए. बोबड़े को लिखे अपने पत्र में ये सूचित किया।
दरअसल इन आरोपों की इन-हाउस जांच कराने के लिए मंगलवार को जस्टिस बोबड़े की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया गया था। गुरुवार शाम को इस पैनल में जस्टिस इंदु मल्होत्रा को शामिल किया गया। अब इस पैनल में जस्टिस बोबड़े के साथ जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी हैं और इस पैनल की पहली सुनवाई शुक्रवार को होनी है।
महिला कर्मी ने यह भी कहा था कि 20 अप्रैल को जिस दिन उसका हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को भेजा गया था, उसी दिन हैदराबाद में बोलते हुए जस्टिस रमना ने उसके आरोपों को खारिज कर दिया था। गुरुवार को जस्टिस रमना ने खुद को पैनल से हटा लिया है।
उन्होंने आगे कहा कि, "यह सच है कि न्याय न केवल किया जाना चाहिए बल्कि प्रकट रूप से दिखना भी चाहिए। मुझे इस स्तर पर भी सतर्कता बरतने की जरूरत है कि यह भी उतना ही सत्य है कि न्यायालय का दरवाजा खटखटाने और न्याय की प्रक्रियाओं को रद्द करने की शक्ति रखने वाला कोई नहीं होना चाहिए। तात्कालिक मामले में मेरे खुद को अलग करने के फैसले से मामूली रूप से भी ये समझना नहीं चाहिए कि हमने इनमें से किसी भी सिद्धांत को स्थानांतरित कर दिया है।"
दरअसल जस्टिस रमना ने CJI से करीबी होने की बात को ये कहते हुए खारिज किया है कि सुप्रीम कोर्ट में सभी जज एक परिवार की तरह रहते हैं और सामाजिक तौर पर भी एक-दूसरे के घर जाना कोई नई बात नहीं है।