शेल्टर होम : सुप्रीम कोर्ट ने ' बस बहुत हो चुका' कहकर मुजफ्फरपुर मामले का ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर किया
शेल्टर होम मामले में बिहार सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बस बहुत हो चुका। यह टिप्पणी करते हुए अदालत द्वारा मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले का ट्रायल दिल्ली में ट्रांसफर कर दिया गया।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने गुरुवार को आदेश जारी करते हुए कहा कि साकेत की POCSO कोर्ट रिकार्ड मिलने के बाद 6 महीने के भीतर इस मामले का ट्रायल पूरा करेगी। पीठ ने 2 सप्ताह के भीतर सारा रिकार्ड साकेत कोर्ट में पहुंचाने के निर्देश भी दिए हैं।
सुनवाई के दौरान अदालत ने बिहार सरकार पर बड़े सवाल उठाए और कहा कि बच्चों के साथ ऐसा बर्ताव करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। पीठ ने कहा कि हम सरकार नहीं चला रहे हैं लेकिन हम ये जानना चाहते हैं कि आप कैसे सरकार चला रहे हैं? पीठ ने बिहार सरकार के वकील को कहा कि वो इस मामले से जुड़ा सारा ब्योरा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करें नहीं तो राज्य के मुख्य सचिव को अदालत में तलब किया जाएगा।
इससे पहले 28 नवंबर 2018 को एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के 16 शेल्टर होम मामलों की जांच सीबीआई को हस्तांतरित कर दी थी। जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने बिहार सरकार के और वक्त देने के आग्रह को ठुकरा दिया था। पीठ ने यह आदेश भी जारी किया कि इस मामले में जांच अफसरों का तबादला नहीं किया जाएगा और बिहार सरकार सीबीआई टीम को यथासंभव मदद मुहैया कराएगी।
गौरतलब है कि बिहार के 17 शेल्टर होम की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि पुलिस ने इन मामलों में नरम रवैया अपनाया है। पीठ ने याचिकाकर्ता निवेदिता झा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े की दलील पर गौर किया था जिसमें कहा गया कि कई शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म किया गया लेकिन FIR में मामूली धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए।
पीठ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अब रिपोर्ट कहती है कि शेल्टर होम में बच्चों के साथ कुकर्म हुआ लेकिन पुलिस ने धारा 377 के तहत भी मुकदमा दर्ज क्यों नहीं किया? ये बडा अमानवीय और शर्मनाक है। बिहार सरकार ने हल्के प्रावधानों के तहत FIR दर्ज की।
कोर्ट ने कहा था कि इस पूरे प्रकरण में आईपीसी की धारा 377 के तहत भी मुकदमा होना चाहिए। 110 में से 17 शेल्टर होम में रेप की घटनाएं हुईं, पीठ ने यह सवाल उठाया था कि क्या सरकार की नज़र में वो बच्चे देश के बच्चे नहीं?