'X' Posts Case | 'पुलिस ने नरसिंहानंद के खिलाफ कार्रवाई की; जुबैर ने नैरेटिव बनाया, लोगों को भड़काने की कोशिश की': इलाहाबाद हाईकोर्ट में बोली यूपी सरकार

ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की याचिका का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा कि राज्य पुलिस ने नरसिंहानंद के खिलाफ़ कार्रवाई की थी और अदालतों ने ही उन्हें ज़मानत दी।
उक्त याचिकिा में मोहम्मद जुबैन ने यति नरसिंहानंद के 'अपमानजनक' भाषण पर उनके कथित 'X' पोस्ट (पूर्व में ट्विटर) पर यूपी पुलिस की FIR के खिलाफ़ याचिका दायर की।
एडिशन एडवोकेट जनरल मनीष गोयल के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा कि जुबैर ने अपने X पोस्ट के ज़रिए नैरेटिव बनाया और लोगों को भड़काने की कोशिश की। उन्होंने जुबैर के 'X' पोस्ट की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया, क्योंकि उन्होंने तर्क दिया कि तथ्य जांचकर्ता ने आग में घी डालने का काम किया।
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ के समक्ष गोयल ने कहा,
"उनका कहना है कि कोई गिरफ्तारी नहीं की गई और यति नरसिंहानंद के खिलाफ कमजोर धाराएं लगाई गईं, लेकिन ऐसा नहीं है। इसलिए यह कहना कि पुलिस अपना काम नहीं कर रही है और यह उनका (जुबैर का) कर्तव्य था, गलत है...पुलिस अपना काम कर रही थी और अदालत ने उन्हें (यति) जमानत दी।"
गोयल ने यह भी बताया कि यति नरसिंहानंद के भाषण की तारीख 29 सितंबर थी और जुबैर के 'एक्स' पोस्ट की तारीख 3 अक्टूबर है, जो उनकी 'मेन्स री' को दर्शाता है, क्योंकि उन्होंने अपने 'X' अकाउंट पर घटना के 4 दिन बाद पोस्ट किया, न कि तुरंत। गोयल ने यह भी तर्क दिया कि जुबैर ने खुद कहा कि यति को 8 FIR में गिरफ्तार किया गया, लेकिन उन्होंने 'X' पर यह दिखाने की कोशिश की कि यूपी पुलिस यति का पक्ष ले रही है और उनके खिलाफ कमजोर धाराओं के तहत FIR दर्ज कर रही है, लेकिन ऐसा नहीं था।
गोयल ने प्रस्तुत किया,
"यह सब एक आम भारतीय की मानसिकता के आलोक में देखा जाना चाहिए। क्या कहानी दिखाई जा रही है? एक भारतीय व्यक्ति क्या सोचेगा?...पहला यह कि खबर बनाने का इरादा जानबूझकर किया गया। दूसरा यह कि खुद को प्रसिद्ध वैश्विक फैक्ट चेकर होने का दावा करना और तीसरा यह कि इसे एक आम आदमी कैसे समझेगा। आप पूरी तरह से सचेत हैं और यह जानकारी प्रसारित कर रहे हैं कि पुलिस इस व्यक्ति का पक्ष ले रही है और कमजोर धाराओं के तहत FIR दर्ज कर रही है। FIR कमजोर धाराओं के तहत दर्ज नहीं की गई। कुछ गिरफ्तारियां हुईं, जिनका आपने खुलासा नहीं किया।"
इसके बाद खंडपीठ लंच के लिए उठ गई। उसके बाद सुनवाई फिर से शुरू होगी।
बता दें कि जुबैर पर अक्टूबर, 2024 में गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें विवादास्पद पुजारी यति नरसिंहानंद के सहयोगी की शिकायत के बाद धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया। जुबैर ने FIR को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया, जिसके तहत बाद में धारा 152 BNS का अपराध जोड़ा गया।
हाईकोर्ट के समक्ष उनके वकील ने जोरदार तरीके से दलील दी कि जुबैर के खिलाफ धारा 152 BNS सहित कोई भी धारा नहीं लगाई गई, क्योंकि उनके पोस्ट में इरादे की कमी थी, जैसा कि FIR में आरोप लगाया गया।
उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि उनके पोस्ट की कोई भी सामग्री उनके भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार से परे नहीं थी और वह केवल पुलिस अधिकारियों से पूछ रहे थे कि FIR दर्ज करने के बाद कथित 'अपमानजनक' भाषण देने वाले के खिलाफ क्या कार्रवाई की जानी चाहिए।
जुबैर का कहना है कि 3 अक्टूबर को यति नरसिंहानंद की पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित 'भड़काऊ' टिप्पणियों वाले वीडियो की एक श्रृंखला पोस्ट करके और बाद में उनके विभिन्न विवादास्पद भाषणों के साथ अन्य ट्वीट साझा करके, जुबैर का उद्देश्य नरसिंहानंद के भड़काऊ बयानों को उजागर करना और पुलिस अधिकारियों से उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह करना था।
दूसरी ओर, शिकायतकर्ता उदिता त्यागी ने मुसलमानों द्वारा हिंसा भड़काने के इरादे से यति के पुराने वीडियो क्लिप साझा करने के लिए जुबैर को दोषी ठहराया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जुबैर के ट्वीट के कारण गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए।